महेन्द सिंह/पांडुका/नवापारा/राजिम/रायपुर : लाल देह लाली लसे अरु धरि लाल लंगोर,, बज्र देह दानव दलन जय जय जय कपि सूर,,, हनुमान चालीसा का पाठ आज अंचल के घर-घर में गूंज उठा। राम भक्त हनुमान एक ऐसे देव हैं जिन पर राम की कृपा से इनके मंदिर भगवान राम के मंदिर से भी ज्यादा है सबसे बड़ी एक बात यह है कि हनुमान जी श्री रामचंद्र जी के भक्त और स्वयं को राम जी का दास कहा है और इनके जैसा आराध्य भारत ही नहीं पूरे विश्व में कोई नहीं है। भारतीय सनातन धर्म के गहरे मर्म में अगर जाएंगे तब समझ में आता है आज जो वैज्ञानिक वर्षों की खोज और मेहनत से अविष्कार करते हैं उस समय हमारे हिंदुस्तान अर्थात आर्य वर्तक देश में यह सामान्य बातें थी चाहे बात पुष्पक विमान की हो या ब्रह्मांड के रहस्य की हमारे वेद पुराण उसके साक्षी हैं उक्त बातें अंचल के प्रसिद्ध भागवताचार्य पंडित जवाहर शुक्ला सिवनी अभनपुर वाले ने छत्तीसगढ़ वॉच ब्यूरो प्रमुख महेंद्र सिंह ठाकुर से हनुमान जयंती के अवसर पर साझा की।
विश्वमैनेजमेंट गुरु है हनुमान जी
सफायर ग्रीन रायपुर के लिटिल हनुमान भक्त आदित्य राजे सिंह ने कहा हनुमान जी विश्व के पहले मैनेजमेंट गुरु थे जो समय परिस्थिति को बहुत पहले से भापकर वैसे ही व्यवस्था करते थे माता सीता की खोज में श्रीलंका जाने के लिए अपनी ऊर्जा को बचाने के लिए एक भरपूर छलांग लगाना और सुरसा राक्षसी के विकराल रूप के सामने महा विशाल बनना फिर बीच का रास्ता निकालते हुए उसके मुंह से मशक अर्थात मच्छर का रूप धारण कर मुंह से उसका मान रखते हुए निकल जाते हैं चाहते तो उसका वध कर सकते थे।
अनुशासन भक्ति चातुर्य बल बुद्धि विवेक के अनुपम उदाहरण
अद्भुत हमारे हनुमान लला इनकी अनुशासन प्रियता भक्ति चातुर्य बल बुद्धि विवेक अद्भुत रहा अगर चाहते एक झटके में लंकेश और लंका का सर्वनाश कर माता सीता को लेकर भगवान रामचंद्र जी के पास आ सकते थे लेकिन मेघनाथ के चलाए नागपाश में अनुशासित हो बंध कर रावण के दरबार में उपस्थित हो जाते है अपनी चतुर ताऔर बुद्धि विवेक का प्रयोग कर पुंछ में आग लगाने पर पूरी सोने की लंका को जला डालते हैं इसमें विनोद में कहा जा सकता है लेकिन बहुत बड़ा अर्थ है हनुमान जी की पूंछ में कपड़ा और तेल लंकेश ने लगवाया और डलवाया और लंका का दहन हनुमान जी ने लंकेश के संसाधन से ही कर दिया उन्होंने केवल अपनी असीम चतुरता बुद्धि और बल का सीमितप्रयोग किया। यह आज की जिंदगी में भी हमारे लिए बेहद अनुकरणीय है चाहे जीवन का कोई भी क्षेत्र हो या आज का भयंकर कोरोना का हाल, हमें हनुमान जी की भक्ति के अलावा उनके व्यक्तित्व से सीखना होगा यह कहना है हनुमान लला के परम भक्त शिवांश पब्लिक स्कूल नवापारा राजिम के ब्रिलियंट कक्षा दसवीं के स्टूडेंट आकाश सिंह ठाकुर का। यह तो निश्चित तौर पर कहा जा सकता है हमारी धर्म और संस्कृति केवल भारत ही नहीं विश्व की अनुपम धरोहर है इसमें हनुमान जी का व्यक्तित्व चिरकाल से हम सभी के लिए पूज्यनीय और अनुकरणीय है।