- छुरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से डॉ रहते है नदारद अधिकारियो को जानकारी के बाद भी नही होती है कार्यवाही
यामिनी चंद्राकर/छुरा : जी हां हम बात कर रहे है गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड छुरा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंन्द्र का जहा आये दिन नये नये कारनामें सामने आ रहे है और जिम्मेदार अधिकारी अपनी गलती छिपाने के लिए अपने विभाग के अधिनस्थ छोटे कर्मचारियों की बलि चढ़ाने में लगे हुए है। घटना 20 अप्रेल की है छुरा के सामुदायिक स्वास्थ केंद्र की है जहां इलाज के अभाव में विश्णुप्रसाद गायकवाड की तड़प तड़प कर मौत हो गई ये वही विष्णुप्रसाद है जिन्होंने अपनी सारी जिंदगी इसी अस्पताल में लोगो की सेवा करते रहे लेकिन यह विडंबना ही है कि जिस इंसान ने अपनी जिंदगी की आधी से भी जादी जिंदगी लोगों की सेवा करते इसी हॉस्पिटल में गुजार दी आज उसी विश्णुप्रसाद को अपने अंतिम समय मे कोई इलाज करने वाला कोई नही मिला आखिर क्यू क्या इस विकासखण्ड मुख्यालय स्थित अस्पताल में इस वैशयिक महामारी के समय मे कोई डॉक्टर नही है क्या डॉक्टरों के अंदर की इंसानियत मर गई है जो मरीज को बेड में तड़पता छोड़कर सरकार से मोटी रकम लेकर अपने क्वायर में खर्राटे मार रहे है। मृतक के पुत्र के बताए अनुसार उनके पापा जांच में कोरोना पॉजिटिव आये थे जिसके कारण वे घर पर ही होमक्वाराइन मे थे तभी 20 तारीख को रात में उन्हें ज्यादा तकलीफ होने की वजह से सामुदायिक स्वास्थ छुरा में एडमिट कराने के लिए उसके लड़के ने 108 पर फोन किया तो 108 वाहन वालो ने कहा कि लोकल छुरा के मरीजो के लिए 108 की सेबा उपलब्ध नही है जिसके बाद मरीज के पुत्र ने स्वास्थ्य केंद्र छुरा पहुचकर 108 वालो से मिन्नते की लेकिन उसके बाद भी सुविधा नही मिला छुरा स्वास्थ्य केंद्र के बी एम ओ प्रजापति से फोन लगाकर बात की तब बी एम ओ द्वारा मरीज को लाने के लिए एम्बुलेंस उपलब्ध कराई गई तब तक 02 घण्टे बीत चुके थे और मरीज दर्द से तड़प रहा था। परिवार वाले मरीज को लेकर हॉस्पिटल पहुचे जहा रात में मरीज को ऑक्सीजन देकर रखा गया मरीज की किसी भी तरह की उपचार नही किया गया रात 02 बजे तक फोन पर ही बी एम ओ प्रजापति मरीज की जानकारी लेते रहे लेकिन बी एम ओ प्रजापति को यह जानकारी होते हुए की हॉस्पिटल में जिस डॉक्टर की ड्यूटी लगाई गई है वे ड्यूटी से नदारद है उसके बाद भी बी एम ओ प्रजापति का मरीज के इलाज के लिए नही आना इस बात को दर्शाता है कि स्वास्थ्य केंद्र के बी एम ओ प्रजापति मरीजो के प्रति कितने गम्भीर रहते है।इधर मरीज दर्द में तड़प रहा था उधर अधिकारी खर्राटे मार कर सो रहे थे अपने पिता की स्थिति ज्यादा खराब होते देख मरीज के पुत्र सुबह 04 बजे बी एम ओ प्रजापति के घर उन्हें बुलाने पहुचे लगभग 01 घण्टे तक दरवाजा खटखटाने और आवाज लगाने के बाद दरवाजा खुला और बी एम ओ की धर्मपत्नि द्वारा मरीज के परिजन को जमकर खरी खोटी सुनाया गया।और सुबह जबतक बी एम ओ प्रजापति हॉस्पिटल पहुचे तब तक मरीज की जान जा चुकी थी। मामले ने तूल पकड़ा अखबार में समाचार प्रकाशित होने के बाद बी एम ओ द्वारा 20 तारीख की रात में जिस महिला डॉक्टर की ड्यूटी थी उसे बचाते हुए डॉ पटेल को बली का बकरा बना दिया गया बी एम ओ द्वारा उस रात कोविड हॉस्पिटल में डॉ पटेल की ड्यूटी बताते हुए उनका वेतन काटकर कार्यवाही की अनुसंशा जिला स्वास्थ्य अधिकारी से की गई है जब इस मामले में हमारे संवाददाता ने डॉ पटेल से बात की तो उन्होंने बताया कि उनकी ड्यूटी 20 तारीख को रात से 21 तारीख की सुबह तक प्री मेट्रिक अनु. सु. जाति बालक छात्रावास में 36 बेड कोविड आइसोलेशन सेंटर में थी जिसका लिखित आदेश डॉ पटेल द्वारा दिखाया गया हॉस्पिटल में चस्पा ड्यूटी चार्ट के अनुसार जिस रात मरीज की इलाज के अभाव में मौत हुई उस रात डॉ नेहा शर्मा की ड्यूटी थी। इस पूरे मामले में जब हमारे संवाददाता ने छुरा के ब्लाक मेडिकल आफिसर डॉ एस. पी. प्रजापति से बात करने पर उन्होंने बताया कि उनके द्वारा ही मरीज को हॉस्पिटल लाने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई रात में हॉस्पिटल से डॉ के नदारद रहने और मरीज को समुचित इलाज नही मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा रात 02 बजे तक फोन से नर्स को मार्गदर्शन कर इलाज किया गया था उस रात डॉ पटेल की ड्यूटी लगाई गई थी लेकिन वे ड्यूटी पर नही थे जब हमने कहा कि हॉस्पिटल में चस्पा चार्ट में कही भी उस रात डॉ पटेल का नाम नही होना बताये जाने पर उन्होंने इसकी आदेश मौखिक रूप से देना बताया साथ ही उन्होंने कहा कि डॉ पटेल तो एक नम्बर का चोर है कामचोर है भगोड़ा है उसका काम कर्मचारियों को भड़काना कामचोरी सिखाना 420 का भी काम कर चुका है बहुत सारा जब जांच होगी तब देखेंगे उसका काम सही नही है इस पूरे बात में बी एम ओ प्रजापति ने डॉ पटेल को जिम्मेदार ठहरा दिया तो वही इस मामले डॉ पटेल ने अपने आप को बेकसूर बताते हुए बी एम ओ प्रजापति द्वारा ड्यूटी के लिए जारी किए गए आदेश की कॉपी दिखाते हुए अपने आपको निर्दोष बताया। उल्लेखनीय है कि छुरा स्वास्थ केंद्र में ऐसी घटना पूर्व में भी हो चुकी है जिससे इंसानियत को शर्मसार होना पड़ा अभी कुछ दिन पहले ही कोविड हॉस्पिटल छुरा में कोरोना संक्रमण के चलते एक युवक की मौत हो गई थी जहां कर्मचारियों द्वारा लाश को पैक नही किया गया कई घन्टो के इंतजार के बाद मृतक के परिजनों द्वारा पीपीई किट पहनकर लाश को झिल्ली से लपेटा गया इसपर भी बी एम ओ साहब की चुप्पी समझ से परे है या यूं भी कहना गलत नही होगा कि डॉ साहब इस स्वास्थ्य केंद्र में 15 वर्षो से जमे होने के कारण उन्हें किसी बात की चिंता नही है।क्षेतवासियो ने इस पूरे मामले में निष्पक्ष जांच की मांग जिला के अधिकारियो से करते हुए कड़ी कार्यवाही के साथ लम्बे समय से छुरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉक्टरों की तबादला करने की मांग की है।