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खरीदी केन्द्रों में करोड़ों के धान हो रहे बर्बाद, उठाव नहीं होने से धूप में फट रही प्लास्टिक की बोरियां

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  • सरकार की लापरवाही से बढ़ रही समितियों की मुश्किलें

पुरुषोत्तम कैवर्त/कसडोल : विकासखंड के सभी धान खरीदी केन्द्रों से पहले लगातार परिवहन होने से फरवरी तक खाली हो जाने वाले धान खरीदी केंद्र इस वर्ष अभी तक खचाखच भरा हुआ है। इसका प्रमुख कारण है धान का खरीदी केंद्रों से उठाव न होना। खास बात यह है कि पहले जुट के बारे में धान भरा जाता था किन्तु इस वर्ष अधिकांश धान प्लास्टिक की बोरी में भरा गया है और समय पर धान का उठाव न होने से तेज धूप के चलते प्लास्टिक बोरियां फट रही हैं जिससे धान जमीन में बिखर रहे हैं और कंकड़ धूल में मिल रहे हैं।खरीदी केन्द्रों में बाड लगाने के बावजूद पशु प्रवेश कर नुकसान पहुंचा रहे हैं। समिति कर्मचारी दिन रात कड़ी मेहनत कर चौकीदारी कर रहे हैं। वे किसी तरह पशुओं से तो धान को बचाने की कोशिश कर रहे हैं किन्तु कंकड़ मिट्टी में मिलने से कैसे बचा पाएंगे?
पिछले दो वर्षो के करोड़ों रुपए के धान भंडारण केन्द्रों में अब तक सड़ रहे हैं। अब लगता है इस वर्ष का धान खरीदी केन्द्रों में पड़े पड़े बेकार हो जाएंगे। शासन प्रशासन की क्या मंशा है वही जाने किन्तु अन्नपूर्णा माता की दुर्गति अवश्य हो रही है। एक तरफ राज्य सरकार किसानों से धान खरीदी कर अपना इतिश्री समझ रही है। वहीं अन्नदाता किसान खरीदी केन्द्रों में पड़े धान की दुर्गति को देख धान बेंचकर पछता रहे हैं। हमारे संवाददाता ने अमोदी खरीदी केंद्र के धान का यह हाल देख अन्य केन्द्रों की जानकारी ली जिससे पता चला कि कसडोल विकास खंड के सभी खरीदी केन्द्रों की यही हाल है।
सवाल यह है कि क्या शासन प्रशासन के लोगों को इसकी जानकारी नहीं है? क्या वे नहीं देख रहे हैं? ऐसा तो नही लगता। यह राज्य सरकार की उदासीनता व नाकामी का नतीजा है कि धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में धान का अपमान हो रहा है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए और खरीदी केन्द्रों से धान का शीघ्र परिवहन हो।
इस संबंध में अमोदी खरीदी केंद्र के प्रभारी एवं समिति कर्मचारी संघ बलौदाबाजार जिला के अध्यक्ष *मनीराम कैवर्त्य* से पूछने पर बताया कि राज्य सरकार की नाकामी का खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है, जबकि सिर्फ खरीदी करना समिति का काम है लेकिन धान का उठाव नहीं होने से अभी तक रखवाली करना हमें ही पड़ रहा है। यह राज्य सरकार की उदासीनता और नकारेपन का जीता जागता उदाहरण है। जो कि अन्न एवं अन्नदाता दोनों का इस तरह अपमान किया जा रहा है। उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि एक तो पिछले सात माह से कर्मचारियों का वेतन नहीं मिला है वहीं किसानों के कर्जमाफी के नाम पर डिंग मारते हुए अपनी पीठ थपथपाने वाली सरकार अभी तक कर्ज माफी की राशि समितियों को वापस नहीं की है जिससे समितियों को बैंक का ब्याज भोगना पड़ रहा है।

इस संबंध में मैं क्या बोलूं लगातार धान का उठाव होता तो अब तक कब का उठ गया होता। सरकार ने टेंडर के माध्यम से उठाने का निर्णय ली है, इसी कारण धान अब तक पड़ा हुआ है। किश्तों में टेंडर करना सरकार ने तय की है आगामी एक किश्त का टेंडर हो चुका है शीघ्र उठाव होगा उसके बाद फिर टेंडर होगा। तब तक समितियों में धान को सुरक्षित रखा जावेगा।
केशव कर्ष
डीएमओ बलौदाबाजार

सीईओ बी.के. भारद्वाज से मोबाईल नंबर 7697305797 पर संपर्क करने की कोशिश की गई किन्तु काल रिसिव नहीं करने से बात नहीं हो सकी।

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