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जंगल मे बीमार हालत में मिले भालू को इलाज के बाद वनविभाग ने जंगल मे सुरक्षित छोड़ा

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  • जंगल मे अधमरे हालत में मिला था भालू जंगल सफारी के वन्यजीव डॉक्टरो के इलाज बाद भालू को सुरक्षित छोड़ा
यामिनी चंद्राकर/ छुरा : गरियाबंद वनमण्डल के छुरा क्षेत्र के नवाडीह जंगल मे बीमार हालत में मीले भालू को वनविभाग ने इलाज के बाद जंगल मे उसके रहवास स्थान में सुरक्षित छोड़ा। मंगलवार 20 अप्रेल को वनपरिक्षेत्र अधिकारी एस. डी. दीवान को ग्रामीणों ने सूचना दी थी कि  नवाडीह के जंगल मे एक मादा भालू मुरचित अवस्था मे पड़ा है जिसकी जानकारी वनपरिक्षेत्र अधिकारी द्वारा गरियाबंद वनमण्डल के वनमण्डलाधिकारी मयंक अग्रवाल को दी जिसके बाद वनमण्डलाधिकारी मयंक अग्रवाल द्वारा रायपुर स्थित जंगल सफारी से वन्यजीव डॉ राकेश वर्मा को जंगली बीमार भालू के इलाज के लिए वनविभाग परसूली व छुरा के कर्मचारियों के साथ भेजा गया जहां रायपुर से आये डॉक्टरों द्वारा पहले भालू को जाल से ढककर लकड़ी से दबाकर बेहोशी का इंजेक्शन लगाया गया भालू के बेहोश होने के बाद पिंजरे में डालकर वन कार्यालय छुरा लेकर मादा भालू का समुचित इलाज किया गया रात भर इंतजार के बाद आज भालू पूरी तरह ठीक हो गया भालू के ठीक होने के बाद वन विभाग ने उसे जंगल मे छोड़ने का फैसला किया जिसके लिए आज 21 अप्रेल को वन मण्डल अधिकारी मयंक अग्रवाल ,वन्यजीव डाक्टर राकेश वर्मा छुरा पहुचकर जंगली भालू की स्थिति को देखा साथ ही स्वस्थ हो चुके भालू को उसके रहवास स्थान नवाडीह जंगल छोड़ने के लिए वनमण्डलाधिकारी मयंक अग्रवाल खुद भी वन कर्मचारियों के साथ भालू को छोड़ने नवाडीह जंगल तक गए जंगल मे वन विभाग के कर्मचारियों को भालू को छोड़ने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी पिंजरे में कैद भालू काफी आक्रमक हो गया था इस दौरान वनमण्डलाधिकारी मयंक अग्रवाल ने अपने कर्मचारियों के साथ लगभग 02 घण्टे तक भालू को सुरक्षित छोड़ने के मशक्कत करते रहे। इस दौरान वन्यजीव डॉ राकेश वर्मा से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि भालू को अत्याधिक गर्मी की वजह से भालू बीमार हो गया था जिसका समुचित उपचार किया गया और आज भालू पूरी तरह से ठीक हो गया है जिसे आज जंगल मे छोड़ा गया।उल्लेखनीय है कि अभी भीषण गर्मी पड़ रही है अत्याधिक गर्मी के चलते जंगलो में नदी नाले पोखर, तालाब सुख चुके है जिसके कारण वन्यजीव पानी के तालाश में गांवों की तरफ रुख कर रहे है जानवरो को गांवों के तरफ पहुचने से जानवरो के शिकार की संभावना से भी इंकार नही किया जा सकता।
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