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निजी स्कूल कोरोना काल की वजह से फीस न जमा कर पाने पर बच्चों को ऑनलाइन क्लास से वंचित एवं वसूल रहे पूरी फीस

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रवि सेन/बागबहरा : खल्लारी विधानसभा प्रभारी संतोष चंद्राकर ने क्षेत्र के विधायक द्वारकाधीश यादव ( संसदीय सचिव ) एवं महासमुंद लोकसभा के सांसद चुन्नीलाल साहू  से प्राइवेट स्कूल के इस मनमानी पूर्ण रवैया पर हस्तक्षेप करने के लिए अपील करते हुए जानकारी दिया छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के एक आदेश का फायदा उठाकर निजी स्कूल संचालक पैरेंट्स से पूरी फीस वसूली का दबाव बना रहे हैं और उन्हें फीस जमा करने के लिए मैसेज भेज रहे हैं. साथ ही स्कूल प्रबंधन की तरफ से फीस जमा नहीं करने पर बच्चों को ऑनलाइन क्लास से वंचित स्कूल से बाहर निकालने का भी मैसेज भेजा जा रहा है. निजी स्कूलों के इस रवैए से पैरेंट्स परेशान हैं. मामले की वे उच्च अधिकारियों से भी शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अधिकारियों की तरफ से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने लॉकडाउन के दौरान आदेश दिया था कि निजी स्कूल संचालक छात्रों से ट्यूशन फीस की वसूली कर सकेंगे. इसके लिए हाईकोर्ट ने स्कूलों को सशर्त अनुमति दी थी. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ट्यूशन फीस की वसूली से उन्हें शिक्षकों सहित अन्य स्टाफ को पैसा देना होगा. इस दौरान हाईकोर्ट ने किसी भी स्टाफ को नौकरी से बाहर नहीं निकालने की भी अपील की थी.
इस पर प्रदेश सचिव उत्तम जायसवाल ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि नये सत्र में प्राइवेट स्कूल इस ट्यूशन फीस के नाम से पूरा का पूरा पैसा ले रही है जिससे पालक अत्यधिक परेशान है यह कोरोना कॉल का संकट सबके लिए है लेकिन इस संकट की घड़ी में भी प्राइवेट स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस के नाम पर जो रकम ली जा रही है वह गलत है हाईकोर्ट ने पालको की राहत के लिए यह निर्णय लिया था लेकिन प्राइवेट  स्कूलों के संचालकों द्वारा एक तरह का नेक्सेस चलाया जा रहा है जिससे पालक परेशान होकर अपने बच्चे को दूसरे स्कूलों में डालना भी चाहते है तो भी पालको को उनके मनमानी का सामना करना पड़ रहा है ।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी इस पर हस्तक्षेप कर प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूलों को इस मनमानी फीस वसूली को रोकने के लिए आदेशित करें व जो स्कूल संचालक इसके बाद भी न माने तो उस स्कूल के संचालक के खिलाफ कठोर कार्यवाही करे।
महासमुंद जिलाध्यक्ष भूपेंद्र चंद्राकर कहा है कि यह सरकार प्राइवेट स्कूलों के साथ हाथ से हाथ मिलाकर खड़ी हुई नजर आ रही है इस मामले पर वे किसी प्रकार का अंकुश नही लगा पा रहे है।
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला पालको को राहत देने के लिए थी ना कि पूर्व के तरह पूरे फीस लेने के लिए शिक्षा विभाग इस ट्यूशन फीस को परिभाषित करें कि प्राइवेट स्कूल किस प्रतिशत पर ट्यूशन फीस लेने के अधिकारी है वे मनमानी कर रहे है जिससे पालक अत्यधिक परेशान है जिस पर सरकार मुकदर्शक बन कर बैठी हुई है
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