- वन समिति ने लगाया बीड कर्मचारी पर तस्करों से सांठगांठ का आरोप
यामिनी चंद्राकर/ छुरा : गरियाबंद वनमण्डल के वन परिक्षेत्र छुरा के जंगल मे बीते दिनों लकड़ी तस्करों ने जिले में लगे लाकडाउन का फायदा उठाकर जंगल से 12 नग सैगोन पेड़ मशीन से कटाई कर ले गये और इसकी भनक भी वन कर्मचारियों को नही लगी। मामला वन परिक्षेत्र के दादरगांव पुराना के कक्ष क्रमांक 192 का है जहां बीते दिनों लकड़ी तस्करों ने जंगल मे बड़े बड़े कीमती सैगोन की मशीन से कटाई कर ले गये मामले की जानकारी वन सुरक्षा समिति होते है समिति के सदस्य और ग्रामवासी ग्राम से लगे जंगल मे पहुच गए जहां सैगोन के गोले जंगल मे इधर उधर छुपाए हुए मीले जिसकी जानकारी वन समिति के सदस्यों ने वन विभाग छुरा के रेंजर को दूरभाष से दी गौरतलब बात है कि इतने बड़े मामले की जानकारी विभाग के फारेस्टगाड द्वारा अपने उच्च अधिकारियों को नही देना भी कई संदेहो को जन्म देता है वन सुरक्षा समिति के सदस्यों ने इस लकड़ी की कटाई के मामले में वन कर्मचारियों की भूमिका को संदेह प्रद बताते हुए वनपरिक्षेत्र अधिकारी एस डी दीवान को इस मामले में निष्पक्ष जांच कराने का आग्रह किया।वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा इस अवैध कटाई मामले पर उपवनपरिक्षेत्र अधिकारी धनेश सिन्हा को 3 दिवस के अंदर जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा है
जंगल के अंदर अवैध कब्जा कर पेड़ो की बड़ी संख्या में की गई गाडलिंग पर भी जांच कर एफ आई आर दर्ज करने की बात कही।वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा दादरगांव पुराना से लगे जंगल मे कब्जा कर पेड़ो की गाडलिंग करने के हमले में भी जांच टीम गठित कर 2 दिवस के अंदर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दोषियों पर थाने में एफ आई आर दर्ज करने की बात भी की गई। वही वन विभाग ने सक के आधार पर दादरगांव पुराना के अगनु राम दीवान के घर मे वनपरिक्षेत्र अधिकारी एस डी दीवान के नेतृत्व में छापा मारा गया जहां से वन विभाग की टीम ने आरोपी द्वारा बॉडी में पैरा के नीचे छिपा के रखे सैगोन लकड़ी के लठ्ठे बरामद किये साथ ही आरोपी के घर से विभाग के बड़ी संख्या में बीजा लकड़ी के पल्ले के साथ लकड़ी काटने का आरा भी बरामद किया जिसको वन द्वारा जब्त कर आरोपी के विरुद्ध कार्यवाही की गई।जिस आरोपी के घर से वनविभाग ने अवैध सैगोन और बीजा के पल्ले व लकड़ी बरामद की है उसे फारेस्ट गार्ड का खास आदमी बताया जा रहा है इसलिए ही इस पूरे लकड़ी तस्करी के मामले में वनसुरक्षा समिति के सदस्यों में इस पूरे मामले में वन कर्मचारी की भूमिका पर ही सवाल खड़ा कर दिया है।