- वनों में निवास करने वालो की आय का बड़ा स्रोत है महुआ का फूल
यामिनी चंद्राकर/ छुरा : जिले के वनांचल क्षेत्र इन दिनों महुआ फूल की खुशबू से महक रहा है वन क्षेत्रों में निवास करने वाले लोग इन दिनों महुआ फूल जिसे लोग पिला सोना भी कहते है को एकत्र करने जंगल क्षेत्र में सुबह 5 बजे से ही जंगल की ओर निकल रहे है इस बार क्षेत्र में महुआ फूल की बम्पर आवक हो रही है जिसे वनवासी अपने पूरे परिवार के साथ महुआ बिनने में व्यस्त है एक तरह से कहा जाये तो महुआ का फूल वनवासियों के लिये एक अच्छा आय का स्रोत है इस बार बाजार में महुआ फूल का भाव 45 से 47 रुपये बिक रहा है ग्रामीण महुआ को इकठ्ठे कर उसे अच्छी जगह पर दो से तीन दिन तक उसे सुखाते है उसके बाद उसे नजदीक के बाजार में ले जाकर बेचकर अच्छी मुनाफा कमा लेते है छुरा क्षेत्र के जंगली इलाको में महुआ के पेड़ बड़ी संख्या में पाए जाते है महुआ का फूल मार्च महीने में गिरना चालू हो जाता है महुआ का पेड़ जंगलो के साथ किसानों के खेत पर भी बड़ी संख्या में पाये जाते है जिसकी सुरक्षा को लेकर वनवासी पूरी तरह से सजग रहते है क्षेत्र के वनवासियों का कहना है कि महुआ का फूल उनके लिए अतिरिक्त आय का जरिया है वे इसे बोनस के रूप में मानते है किसानों और वनवासियों का यह मानना है कि किसी भी फसल को लगाने और उसके उत्पादन के लिए पहले खर्च करना होता है लेकिन महुआ का फूल बिन लागत के ही एक अच्छा आय का जरिया है जो उनके जीवन के लिए भगवान के द्वारा दिया गया वरदान से कम नही है। महुआ के फूल से बनता है शराब देहात इलाको में महुआ के फूल से देशी शराब बनाया जाता है महुआ से बने शराब को आदिवासी लोग परम्परा के अनुसार पूजा के काम मे भी भोग के रूप में अर्पण करते है इस वजह से भी यह वनवासियों के लिए भी खास माना जाता है। महुआ के फूल के बाद उसी पेड़ से टोरी (कौवा) भी गिरता है जिसे वनवासियों द्वारा इकठ्ठे कर सुखाकर तेल निकाला जाता है टोरी बीज से निकाला गया तेल सब्जी बनाने के साथ साथ औषधि के रूप में भी काम आता है वनवासी लोग इस तेल को हाथ पैर दर्द होने पर इस तेल से मालिस करते है साथ ही यह तेल दिया जलाने के लिए भी उपयोग में लिया जाता है।