किरीत ठक्कर/ गरियाबंद । पेट्रोल – डीज़ल की मूल्य वृद्धि के समानांतर इन दिनों खाद्य तेलों की बेतहाशा मूल्य वृद्धि से भी आम जनता परेशान हैं। हालांकि इसे लेकर उतना शोर शराबा नही किया जा रहा जितना कि पेट्रोल डीज़ल की कीमतों में उछाल पर राजनीति हो रही है, पर सच तो ये है कि खाद्य वस्तुओं की लगातार बढ़ती कीमतों के विरुद्ध जनता की आवाज बुलंद करने वाला भी कोई नहीं है। कुछ महीना पहले तक खाद्य तेलों की कीमत जहाँ प्रति 15 केजी टिन 1100 सौ रु से 1250 रु तक थी आज खुदरा मूल्य 2100 से 2250 रु तक हो गया है, यानि मूल्यों में सीधे सीधे 50 प्रतिशत का इजाफ़ा हुआ है। इसमें भी ब्रांडेड कंपनी का खाद्य तेल लगभग मार्किट से गायब है। कुछ व्यवसाइयों से की गई चर्चा के अनुसार पाम की फसल खराब होना इसकी प्रमुख वजह है , वही कुछ का कहना है कि पाम आयल का आयात बंद कर दिया गया है। विदित हो कि राइस ब्रान सूरजमुखी सोयाबीन तथा अन्य खाद्य तेलों के निर्माण में एक निश्चित अनुपात में पाम ऑइल मिलाया जाता है।
खाद्य तेलों के मूल्यों में बेतहाशा वृद्धि : चार महीने में पचास प्रतिशत की बढ़ोतरी
