प्रांतीय वॉच

ग्रामीण महिलाएं नदी नाला झरिया का पानी पीने को मजबूर प्रशासनिक तंत्र फेल

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टीकम निषाद/ देवभोग। आजादी के 72 साल बाद भी गांव-गांव में ऐसी तस्वीर देखने को मिलता है। जिसे देख सरकार की तमाम वादा धरातल में खोखला साबित दिखाई पड़ती है। जबकि शुद्ध पानी में सबका अधिकार है। लेकिन दुर्भाग्य कहें या फिर प्रशासनिक तंत्र की नाकामी समझे। कि आज भी महिला पुरुष बच्चों को नदी नाला जैसे झरिया का पानी पीना मजबूरी है ।क्योंकि कहीं नलकूप की कमी है ताे कंही  पानी की शुद्धता को लेकर सवाल खड़ा किया जाता है। इसलिए कुछ इलाके के लोग पिछले कई वर्षों से नदी नाला पानी के भरोसे  हैं। हालांकि पीएचई विभाग द्वारा बखूबी दावा किया जाता है। कि ब्लॉक में किसी प्रकार नलकूप की कमी नहीं है ।मगर शुद्ध पानी दिए जाने का प्रयास करने की बात कही जाती है। सबसे ज्यादा कुमडई पुरनापानी दंहीगांव मे नदी नाला झरिया का पानी निकालेते । यहां से 12 माह ग्रामीण महिलाएं पानी निकालते देखे जा सकते  हैं ।बताया जाता है कि नलकूप का पानी अधिकांश  निस्तारी  के लिए इस्तेमाल होता है। आैर पीने चावल दाल पकाने के लिए नदी से पानी लिया जाता है। नदी का पानी से चावल और दाल आसानी से पक जाता है। इसके अलावा नलकूप की पानी खारा होने के बात कहीं जाती है ।साथ ही ऐसे कई गांव है जहां नलकूप का अभाव भी है। जबकि 100 ग्रामीण के लिए एक नलकूप का स्टीमेट बताया जाता है ।बावजूद इसके जनसंख्या अनुरूप नलकूप नहीं है। यह भी प्रमुख कारण है जिसके चलते ग्रामीण महिलाएं नलकूप पर घंटों मशक्कत करने के बदले सीधा नदी से पानी निकाल कर खाना पकाते हैं। और पीने  के  इस्तेमाल में लाते हैं । आैर  जिम्मेदार अधिकारी  अपनी उदासीनता का पूरा  टिकरा ग्रामीण महिलाएं पर मढ़ देते हैं। और गांव की महिलाएं नदी का पानी से दाल चावल पकाने की मानसिकता बनाने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। तभी नलकूप होने के बावजूद भी ग्रामीण महिलाएं नदी नाला में झरिया का पानी निकाल कर स्वयं इस्तेमाल करते हैं ।मगर नलकूप से निकलते और अशुद्ध पानी की शुद्धिकरण करने की ओर कोई पहल नहीं किया जाता। ऐसे में स्वाभाविक है ग्रामीण महिलाएं झरिया का पानी पीने को मजबूर होंगे ।जिससे स्थानीय एवं जिला के अधिकारी भी कई वर्षों से अवगत हैं ।लेकिन नलकूप की जांच कर शुद्ध पानी देने की ओर कोई पहल नहीं हो पाती।
अरुण कुमार भार्गव एसडीओ पीएचई  -: ब्लॉक में पर्याप्त नलकूप है और जहां की मांग है उनकी स्वीकृति के लिए भी उच्च अधिकारी को भेजा जाता है और शिकायत के अनुसार उक्त नलकूप पानी की शुद्धता को लेकर प्रयास होती है
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