देश दुनिया वॉच

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष : कोरोना काल में अहम रही इन महिलाओं की भूमिका

Share this

कबीरधाम : “तू जिंदा है तो जिंदगी की जीत पर यकीन कर अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर” दुष्यंत कुमार द्वारा रचित यह पंक्तियां वर्तमान दौर की नारियों पर बिल्कुल सटीक बैठता है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर यहां हम स्वास्थ्य विभाग की उन महिलाओं के अनुभवों , संघर्षों और सेवाओं से रु-ब-रु होंगे, जिन्होंने कोरोना काल में भी अपनी भूमिका बखूबी निभाकर जनकल्याण  कार्य किया ।

नक्सली क्षेत्र में 17 सालों तक की सेवा – जिला अस्पताल और  सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहस पुर लोहारा में पदस्थ 61 वर्षीय  डॉ हीना अहमद विभागीय कार्य स्फूर्ति और जीवंत अंदाज में करते हुए युवा लड़कियों के लिए प्रेरणा स्रोत है। डॉ हीना जिले में सी सेक्शन से लेकर महिला नसबन्दी, सोनोग्राफी जैसी अति महत्ववपूर्ण सेवाओं में सक्रियता से कार्य कर रही हैं।  उनका कहना है महिलाओं को कभी भी अपने आप को पीछे नही समझना चाहिए। विषम हालातों में भी संघर्ष के लिए खुद को तैयार रखना बेहत जरूरी है क्योंकि तभी सफलता मिलती है। डॉ हीना की प्रारम्भि शिक्षा जबलपुर से मेडिकल की पढ़ाई जबलपुर मेडिकल कॉलेज से हुई। उन्होंने 1993 में बस्तर क्षेत्र में बतौर मेडिकल ऑफिसर जॉइन किया। लगभग 17 वर्षों तक यहां सेवाएं देने के बाद पुलिस विभाग में भी सेवाएं दी । डॉ हीना को परिवार नियोजन कार्यक्रमों के लिये दिल्ली स्तर पर और नक्सल प्रभावित इलाकों में कार्य करने पर राज्य शासन द्वारा सम्मानित किया गया है।

कोरोना के कारण गम्भीर स्थित से लौटकर आई सेवा में- कबीरधाम जिला अस्पताल में बतौर काउंसलर सेवारत तूलिका शर्मा कोविड नियंत्रण मीडिया कार्यों का प्रभार देख रही हैं  इनकी डेढ़ वर्ष की बच्ची  है। इनको उस समय विकट समस्या का सामना करना पड़ा जब कोविड केयर सेंटर में कार्य करते-करते वह कोविड संक्रमित हो गईं। इसके बाद बच्ची को खुद से दूर रखना और डायबिटिक पति को संक्रमण से बचाना तूलिका के लिए काफी चुनोती पूर्ण रहा। वे बताती हैं “एक दौर ऐसा भी आया जब बच्ची को पूरा प्रोसीजर बुरा लगने लगा और वह काफी चिचिड़ाने व सिर पटककर गुस्सा दिखाने लगी। डेढ़ वर्ष की अपनी बच्ची की इस मनोदशा ने तूलिका व उनके पति को विचलित कर दिया इसके बाद उन्होंने चिकित्सक की सलाह ली व उचित सलाह लेकर बच्ची को पास रखना, उसके साथ खेलना शुरू किया। इसी बीच तूलिका की तबियत काफी खराब हो गई निमोनिया के कारण उन्हें लंबा ट्रीटमेंट भी लेना पड़ा। “ उन्हें स्वास्थ्य संचालक स्तर पर प्रमाणपत्र देकर प्रोत्साहित किया गया।

सेवाओं से संतुष्टि मिलती है- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत कबीरधाम में बतौर जिला कार्यक्रम प्रबंधक के रूप में सेवारत  नीलू धृतलहरे  कहती हैं “ऑफिस हो, घर हो या कोई भी क्षेत्र महिलाओं को खुद को स्थापित करने के लिए पुरुषों की अपेक्षा अतिरिक्त संघर्ष करना पड़ता है। शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने एलआईसी में जॉब किया I महज 6 माह बाद उन्होंने कोंडागांव में स्वास्थ्य विभाग में बतौर डीपीएम कार्य आरम्भ किया। वे बताती हैं “स्वास्थ्य का क्षेत्र बहुत ही जिम्मेदारी और संवेदनशील क्षेत्र है। यहां हर हाल में अलर्ट रहकर कार्य करना जरूरी होता है।“ कोरोनाकाल के दौैरान जिले में कोविड-19 प्रबंधन के उत्कृष्ट कार्य करने पर जिला स्तर पर उन्हें सम्मानित भी किया गया. साथ ही विभागीय स्तर पर भी 2-3 बार उत्कृष्ठ कार्य हेतु सम्मानित किया गया है  विवाह किसी भी व्यक्ति के जीवन का एक अहम मांगलिक कार्य होता है। मगर अपनी जिम्मेदारियों के चलते शादी के तुरंत बाद वे विभागीय सेवाओं में लौट आई थीं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Share this

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *