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ईट भट्टे का अवैध कारोबार जोरों पर

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 मनोज शर्मा/ रतनपुर : ग्रामीण अंचल में ईट भट्ठा का कारोबार जमकर चल रहा है। सालों से खुलेआम मनमाने तरीके से जमीन की दोहन करते हुए खुदाई की जा रही है। बावजूद इसके अवैध ईट भट्ठा पर कार्यवाही नहीं होने से संचालकों के हौसले बुलंद है। जो खुलेआम खनिज विभाग को हर साल लाखों रुपए के राजस्व की हानि पहुंचाने के साथ पर्यावरण को भी प्रदूषित कर रहे। खनिज एवं राजस्व विभाग की चीर निद्रा से अवैध भठ्ठो की बाढ़ आ गई है।शासकीय व निजी भूमि की खनन करने संचालक विभागीय औपचारिकताएं पूरी किए बगैर लाखों रुपये की लाल ईट का अवैध तरीके से संचालन कर रहे हैं। कोटा विकासखंड अंतर्गत स्थित आदिवासी बाहुल्य ग्राम पंचायत चपोरा के आश्रित ग्राम बाँसाझाल  अवैध ईट भट्ठा का केंद्र बना हुआ है।गांव के चारों ओर जल,जंगल और जमीन का दोहन किया जा रहा है। लेकिन  विभागीय अमला मूकदर्शक बने बैठी हुई है। संचालक नियम-कानून को ताक में रखकर मनमानी पर उतारू हो गए हैं। इसके चलते वह विभाग से किसी तरह अनुमति लेना भी अब जरूरी समझते हैं। जबकि मिट्टी खनन करने के लिए खनिज विभाग से अनुमति लेना जरूरी। जिसके खुदाई के लिए एक निश्चित मानक तय की जाती हैं।पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रदूषण विभाग से एनओसी होना अनिवार्य है। अवैध ईटा भट्टा का संचालन होना केवल मानव जीवन ही नहीं अपितु वन्य प्राणियों के लिए भी नासूर बनता जा रहा है। प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा कर न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। बल्कि जंगल की लकड़ी,पानी ,मिट्टी, और चोरी की बिजली का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा। लाल ईट की निर्माण कर संचालक लाखों रुपए की कमाई जेब में  डाल कर प्रकृति की गोद सुनी कर रहे हैं। प्रतिवर्ष लाखों रुपए की राजस्व क्षति पहुंचाने के बाद राजस्व विभाग और खनिज विभाग के आला अधिकारी भी जानकर अनजान बने हुए।इससे अवैध ईट कारोबारियों के हौसले बुलंद है। उच्च अधिकारियों के कुंभकर्णीय निद्रा में होने से क्षेत्र में बड़ी संख्या में ईट भट्टे लगे हुए हैं।जिस पर विभाग कार्यवाही कर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रही है।
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