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छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र 2021 : बिलासपुर में 15 साल से बन रहे क्षेत्रीय प्रशिक्षण संस्थान पर घिरीं महिला एवं बाल विकास मंत्री, कहा- इसके लिए पिछली सरकार दोषी

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रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र के प्रश्नकाल में आज सरकारी निर्माण एजेंसियों के कामकाज का एक अजीब मामला सामने आया। भाजपा विधायक रजनीश कुमार सिंह के सवाल पर महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंडिया ने बताया, बिलासपुर में 2005-06 से बन रहे विभाग के क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र का प्रशासनिक भवन अब भी अधूरा है। केंद्र का संचालन किराये के भवन में हो रहा है। इस देरी के विपक्ष ने जब मंत्री को घेरा तो उन्होंने देरी के लिए पिछली सरकार को जिम्मेदार ठहरा दिया।

प्रश्नकाल में आज सवालों के जवाब देने की बारी कृषि, जल संसाधन विकास मंत्री रविंद्र चौबे और महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंडिया की थी। भाजपा विधायक रजनीश सिंह ने पूछा, बिलासपुर के क्षेत्रीय प्रशिक्षण संस्थान के भवन निर्माण की स्वीकृति कब मिली थी। क्या उस नये भवन में संस्थान संचालित है। संस्थान को भवन में स्थानांतरित नहीं करने के लिए कौन दोषी है। जवाब में महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंडिया ने बताया, बिलासपुर के क्षेत्रीय प्रशिक्षण संस्थान के प्रशासनिक भवन की प्रशासकीय स्वीकृति 2005-06 में और हॉस्टल और कर्मचारी आवास बनाने को प्रशासकीय स्वीकृति 2012-13 में दी गई थी।

प्रशासनिक भवन पर अब तक 64.33 लाख रुपये खर्च हो चुकी है। वहीं हॉस्टल और कर्मचारी आवास पर 111.28 लाख रुपये खर्च हुए हैं। भवन का निर्माण अभी भी अधूरा है। उसमें खिड़की दरवाजे नहीं बने हैं। बिजली और सेनिटरी फिटिंग नहीं लग पाई है। इसकी वजह से उसका उपयोग संभव नहीं हो पा रहा है। सवाल हुआ तो मंत्री अनिला भेंडिया ने बताया, 2019 में यह मामला उनके संज्ञान में आया था, उसके बाद बचे हुए काम कराने के लिए एक प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया है। अभी तक उसको स्वीकृति नहीं मिली है।

गोधन न्याय योजना के मद पर उठे सवाल

प्रश्नकाल में भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना के मद पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि सरकार गोबर के लिए 77 करोड़ रुपये के भुगतान का दावा कर रही है। यह भुगतान किस मद से किया गया है। जवाब में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, यह गोधन न्याय योजना के मद से हुआ है। इसके लिए सेस लगाया गया है। भाजपा विधायकों ने आरोप लगाया कि मंत्री सदन को गुमराह कर रहे हैं। इसके भुगतान के लिए सरकार ने पंचायतों को 14वें और 15वें वित्त आयोग की राशि देने पर विवश किया। यह पंचायतों के अधिकार का हनन है।

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