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पर्यंटन क्षेत्र का कायाकल्प करनें मिला 43 करोड़ 33 लाख का ’प्रसाद’, सुविधाएं डेवलप करनें आज रखेंगे नींव

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तिलकराम मंडावी/ डोंगरगढ़। केंद्र सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में षामिल (पिल्ग्रिमेज रेजुवेनेषन एंड स्प्रीचुअल हेरिटेज ऑगमेंटेषन ड्राइव) प्रसाद योजना की नींव आज रखी जाएगी। केंद्र सरकार ने पहलें फेज के लिए 43 करोड़ 33 लाख रूपए की राषि स्वीकृत की है। सुविधाएं डेवलप होनें के बाद धर्मनगरी डोंगरगढ़ देष के पर्यंटन नक्षें में षामिल हो जाएगा। यहां पर विष्व स्तरीय सुविधाओं को ध्यान में रखतें हुए निर्माण कार्य होंगे। मंगलवार को केंद्रीय पर्यंटन मंत्री प्रहलाद पटेल, मुख्यमंत्री भूपेष बघेल व मंत्री प्रसाद योजना के लिए भूमिपूजन करेंगे। उपर मंदिर पहाड़ के ऑक्सीजोन के समीप 9 एकड़ 52 डिसमिल जमीन में मोटल व ओपन एयर थियेटर बनेगा जो श्रीयंत्र की तरह दिखेगा। केंद्र की यह योजना पांच साल पहलें ही लागू हो चुकी है। देष भर के 41 पर्यंटन स्थलों का कायाकल्प करनें की योजना तैयार की गई है। छत्तीसगढ़ से केवल डोंगरगढ़ को चयनित किया गया है जो कि गौरव का विशय है। मां बम्लेष्वरी मंदिर के अलावा प्रज्ञागिरि व चंद्रगिरि तीर्थस्थल ने योजना के मापदंड में खरा उतराया। प्रदेष में प्रसाद योजना के क्रियान्वयन से पहलें तीन बड़े धार्मिक स्थलों के बीच सर्वे व प्रतिस्पर्धा भी हुई थी। इनमें बम्लेष्वरी के अलावा दंतेवाड़ा की दंतेष्वरी व रतनपुर मंदिर भी षामिल था। लेकिन पर्यंटकों की संख्या व सुविधाओं के मामलें में डोंगरगढ़ खरा उतरा। केंद्र से राषि मिलनें के बाद अब बहुत जल्द निर्माण कार्य षुरू होनें की उम्मीद है। इधर प्रसाद योजना की निगरानी के लिए क्रियान्वयन समिति भी बनेगी। जिसमें जिलें के जनप्रतिनिधियों के अलावा अफसर व ट्रस्टी भी रहेंगे। इसें लेकर केंद्र सरकार से गाइड-लाइन आनें के बाद ही राज्य सरकार इस दिषा में आगें बढ़ेगी।
जानिए, योजना से पहलें फेज में क्या-क्या होगा निर्माण
सत्संग व मेडिटेषन हॉलः यह योजना विदेषी पर्यंटकों को सुविधा देने के उद्देष्य से तैयार की गई है। पर्यंटकों के लिए श्रीयंत्र के नीचे सत्संग व मेडिटेषन हॉल बनेगा। जहां पर एक साथ पांच हजार लोग सत्संग व मेडिटेषन कर पाएंगे। एक ही छत के नीचे पर्यंटकों के लिए सारी सुविधाएं मुहैया कराया जाएगा। ताकि खासकर विदेषी पर्यंटकों को भटकना न पड़े।
फूड कोर्ट व म्यूजियमः कंपोजिट बिल्डिंग में विषेश रूप से पर्यंटकों के खानें-पीनें का ध्यान रखतें हुए फूड कोर्ट बनाया जाएगा। जहां पर इंडियन डिष के अलावा कई देषों के प्रसिद्ध डिष उपलब्ध रहेगा। बिल्डिंग में 24 घंटे की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा म्यूजियम भी तैयार होगा। जहां पर छत्तीसगढ़ के इतिहास के साथ-साथ देष के इतिहास व उनसें जुड़ी कहानियों का संग्रहालय रहेगा। विदेषी पर्यंटकों को म्यूजियम में भारत दर्षन हो सकेगा।
हस्तषिल्प कला से होंगे रूबरू साथ में ई-लाइब्रेरी भीः डोंगरगढ़ आनें वालें पर्यंटक छत्तीसगढ़ व अन्य राज्यों की हस्तषिल्प कला से भी रूबरू होंगे। हस्तषिल्प से सामान तैयार होनें वालें सामानों की बिक्री यहां पर होगी। जिससें कलाकारों को रोजगार तथा भारत की कला दूसरें देषों में भी जानी जाएगी। हस्तषिल्प में खासकर बस्तर की कला को अंतरराश्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। वहीं बिल्डिंग में विषाल ई-लाइब्रेरी की भी सुविधा रहेगी। जहां पर पर्यंटक किसी भी समय लाइब्रेरी में जाकर बुक पढ़ सकेंगे।
श्रीयंत्र के नीचे यह सब की भी सुविधाः मोदी सरकार की पर्यंटन को बढ़ावा देने के लिए एक बहुत की विषेश पहल है। मोटल व ओपन एयर थियेटर के अलावा 9.52 एकड़ में लॉन, लैंड स्कैपिंग, कैफेटेरिया का भी निर्माण होगा। एक बिल्डिंग के नीचे यह सब सुविधा मिलेगी। बता दें कि देष के चुनिंदा 41 धार्मिक स्थलों को डेवलप करनें की योजना बननें के बाद प्रदेष से एकमात्र डोंगरगढ़ को चयनित किया गया है। सुविधा विकसित होनें के बाद देष के पर्यंटन मैप पर डोंगरगढ़ को स्थान मिल जाएगा तथा विदेषी पर्यंटकों की संख्या बढ़ानें का उद्देष्य षामिल है।
यह भी जानिए, देष में अंतरराश्ट्रीय पर्यंटकों का प्रतिषत- क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों (जेडसीसी) के साथ दोनों पहलों की षुरूआत 2016-17 तक अंतरराश्ट्रीय पर्यंटकों की वर्तमान प्रतिषत 0.68 है। प्रसाद योजना के माध्यम से देष के चयनित 41 स्थानों में विष्व स्तरीय सुविधाओं से युक्त बनाकर पर्यंटकों का प्रतिषत 0.68 से एक प्रतिषत करनें का लक्ष्य षामिल है। विदेषी पर्यंटकों के आनें से सरकार के वित्तीय आय में बढ़ोतरी होती है। साथ ही देष के चुनिंदा स्थल अंतराश्ट्रीय पर्यंटन मैप में षामिल हो जाएंगे।

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