किरीट ठक्कर/ गरियाबंद : भारत की न्याय व्यवस्था व शासन व्यवस्था में भरपूर पारदर्शिता लाने के प्रयास ऊपरी तौर पर किये जा रहे हैं , किन्तु धरातल पर आज भी अधिकारी अंधेरे में बटेर पकड़ने का काम करते हैं। ऐसे ही अंधेरे में बटेर पकड़ाई का खामियाजा अब बजरबट्टू को पोता भुगत रहा है। मामला जमीन से जुड़ा हुआ , ग्राम कुशकोना थाना व तहसील देवभोग जिला गरियाबंद का है।मामले में प्राप्त विवरण के अनुसार बलमत पिता बजरबट्टू उम्र 60 वर्ष जाति तेली निवासी कुशकोना की कृषि ज़मीन ग्राम धौराकोट प.ह.न. 07 तहसील देवभोग खसरा न 183 / 2 के कुछ भू-भाग पर नहर नाली निर्माण के लिए शासन द्वारा अधिगृहित कर लिया गया और उसकी मुआवजा राशि एक लाख साठ हजार रु , बगल के खसरा न 183 / 1 के भूमि स्वामी केवलराम पिता बजरबट्टू को दे दी गई। केवलराम इस राशि को हज़म कर चुका है और देने से इंकार कर रहा है।इधर अपने अधिकार के लिए तहसीलदार एसडीएम देवभोग तक गुहार लगाते बलमत की मौत हो गई है। अब उसका पुत्र विभीषण अपने हक की रकम प्राप्त करने अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है। गुरुवार 25 फरवरी विभीषण ने जिला मुख्यालय पहुंच , कलेक्टर के नाम आवेदन दिया है , देखना है उसे उसका अधिकार कब तक मिल पाता है। उसके पिता तो जमीन की रकम मिलने की आस में गुजर ही चुके हैं।
बजरबट्टू के दो पुत्र, एक की गई जमीन, दूसरे को मिली मुआवजा राशि
