अक्कू रिजवी/ कांकेर। आज बसंत पंचमी के दिन शहर के मध्य स्थित कालीबाड़ी में स्थानीय बंग बंधुओं ने सरस्वती पूजा को एक सामाजिक उत्सव के रूप में धूमधाम से मनाया। बंगाल की परंपरा के अनुसार बच्चों का विद्यारंभ सरस्वती पूजा के दिन से ही शुरू होता है। बंगाल तथा बिहार में बच्चों की वार्षिक परीक्षा नवंबर दिसंबर तक हो जाती है और परीक्षा परिणाम जनवरी तक आजाते हैं जिसके बाद बसंत पंचमी में सरस्वती पूजा कर नया शिक्षा सत्र प्रारंभ कर दिया जाता है जबकि अन्य राज्यों में शिक्षा सत्र 15 जून या 1 जुलाई से शुरू होता है। फिर भी बंग बंधु जहां जहां भी रहते हैं वहां वहां निश्चित तिथि पर सरस्वती पूजा उत्सव अवश्य मनाते हैं । कांकेर में बंगबंधु विगत लगभग सौ सवा सौ वर्षो से रहते आ रहे हैं, तभी से कांकेर रियासत में सरस्वती पूजा प्रतिवर्ष होती आ रही है। उस ज़माने में राजिम से एक शिक्षित ब्राह्मण दुर्गा प्रसाद तिवारी कांकेर रियासत में राज परिवार के शिक्षक बनकर आए थे और उन्होंने ही यहां के विद्यालयों में प्रतिदिन सुबह 10:00 बजे सरस्वती पूजा प्रारंभ करवाई थी । बाद में यही शिक्षक महोदय कांकेर रियासत के दीवान हो गए। उन्हीं दिनों बंगाल से डॉ, राखाल दत्त राय कांकेर रियासत में सिविल सर्जन बन कर आए थे इन सज्जनों के प्रयत्नों से ही कांकेर में दुर्गा पूजा ,काली पूजा, सरस्वती पूजा सब कुछ नियमित रूप से कार्यक्रमों के रूप में होने लगे। सन 1932 तक सरस्वती पूजा राजापारा में होती थी ।उसके बाद कोमल देव क्लब में होने लगी ।वहीं दुर्गा पूजा काली पूजा भी होने लगी जो कि वर्तमान में क्लब के ही पीछे निर्मित कालीबाड़ी में होती हैं। इन दिनों कालीबाड़ी के पंडित प्रदीप भट्टाचार्य महाशय हैं जिन्होंने आज सरस्वती पूजा संपन्न की । 9:30 बजे के आसपास पूजा संपन्न हुई 12:30 बजे पुष्पांजलि के पश्चात प्रसाद वितरण किया गया और बच्चों का अक्षर ज्ञान कार्यक्रम भी किया गया। इस अवसर पर पुजारी भट्टाचार्य महाशय के अलावा उपस्थित कार्यकर्ताओं में एसके मंडल टीडी पाल अनिल शाहा विधानमंडल एससी वैद्य सीएम पाल, पीके दत्ता आलो रानी भट्टाचार्य बुलु सरकार जया सरकार रंजना शाहा आदि ने अपनी उपस्थिति तथा सहयोग प्रदान किया और सरस्वती पूजा कार्यक्रम को सफल बनाया।
कालीबाड़ी कांकेर में सरस्वती पूजा की धूम 100 वर्षों से अधिक पुरानी परंपरा
