- गंभीर मरीजों को अंबिकापुर ले जाना मुश्किल
- मुसाफिरों का गड्ढे एवं धूल के गुब्बारे से होता है स्वागत
बलरामपुर : बलरामपुर जिले में छत्तीसगढ़ को झारखंड से जोडऩे वाले नेशनल हाइवे 343 पुरी तरह से जर्जर हो चुकी है. इस सड़क पर ऐसे कई बड़े-बड़े गड्ढे निर्मित हो गये है. जिसके कारण 50 किमी अतिरिक्त दूरी तय करने लोग विवश हैं. क्षेत्र के सांसद विधायक स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को ये नजारा देख के भी रहम नहीं आती सबसे बुरी स्थिति गम्भीर रूप से बीमार या घायल व्यक्तियों की हो जाती है। यदि इलाज के लिए अम्बिकापुर या आगे जाना हो तो समय से पहुंच पाएंगे या नही इसका भय बना रहता है तो वहीं पड़ोसी राज्य झारखंड या उत्तरप्रदेश इलाज के लिए जाते हैं। गौरतलब है कि नेशनल हाइवे 343 की स्थिति बलरामपुर एवं राजपुर के बीच अत्यंत जर्जर है, वहीं तातापानी से रामानुजगंज तक की रोड की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है। राजपुर से रामानुजगंज के बीच के रोड की स्थिति ऐसी हो गई है कि इस रोड में लोग अब सफर करने से डरने लगे हैं। सडक़ की बदतर स्थिति के कारण आम जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। समय रहते यदि प्रशासन ने इस ओर पहल नहीं की तो कभी भी जन आक्रोश भडक़ सकता है। बलरामपुर-रामानुजगंज जिले का मुख्यालय बलरामपुर में स्थित है जहां कार्यरत अधिकांश कर्मचारी रामानुजगंज में निवास करते हैं। वही जिले के सभी वरिष्ठ अधिकारियों का भी आवागमन होता रहता है परंतु इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाना समझ से परे है।
NH 343 पर दो-दो फीट तक हो गए हैं गड्ढे, हमेशा बना रहता है दुर्घटना का डर
नेशनल हाइवे 343 पर राजपुर से रामानुजगंज के बीच कई ऐसी जगह है, जहां पर सडक़ पर दो-दो फीट के गड्ढे हो गए हैं। अनजान या बाहरी व्यक्ति जब इस सडक़ से जाता है तो उनके लिए बहुत ही मुश्किल खड़ी होती है। ऐसा कोई दिन नहीं जिस दिन इन गड्ढों के कारण कोई न कोई दुर्घटना न घटती हो।
इलाज के लिए अंबिकापुर बिलासपुर रायपुर न जाकर पड़ोसी राज्यों का रुख
नेशनल हाइवे 343 की ऐसी जर्जर स्थिति हो गई है कि जब रामानुजगंज वासियों को इलाज के लिए अंबिकापुर जाना होता है तो वह जाने से परहेज करते हैं। इलाज के लिए पहले जहां आम आदमी अंबिकापुर, बिलासपुर, रायपुर जाते थे, वहीं अब लोग सडक़ की दुर्दशा के कारण पड़ोसी राज्यों का रूख कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में गंभीर रूप से बीमार मरीज या गंभीर घायल व्यक्तियों की जान पर आफत बन आती है।
गड्ढे तो भरवा दे विभाग
नेशनल हाइवे की किस्मत जब सुधरे तब सुधरे, परंतु जो जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गए है कम से कम विभाग उन्हें तो भरवा भी सकता है। प्रत्येक वर्ष सडक़ के मरम्मत के नाम पर राशि आती है परंतु मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति कर पूरी राशि का बंदरबांट कर दिया जाता है। शासन प्रशासन को इन गड्ढों को भरवाना तो दूर देखने तक की फुर्सत नहीं है।