पुलस्त शर्मा/ मैनपुर : सामाजिक कार्यकर्ता रूपसिंग साहू ने बताया कि कैंसर से बचने के लिए तंबाकू उत्पादों का सेवन बिलकुल न करें कैंसर का खतरा बढ़ाने वाले संक्रमण से बचकर रहें चोट आदि होने पर उसका सही उपचार करें और अपनी दिनचर्या को स्वस्थ बनाएं कैंसर के ज्यादातर मामलों में फेफड़े और गलों के कैंसर देखने में आते हैं जो तंबाकू उत्पादों का अधिक सेवन करने का नतीजा होता है ऐसे मामलों में उपचार बेहद जटिल हो जाता है और मरीज के बचने के चांस भी कम हो जाते हैं इसके साथ ही आजकल महिलाओं में स्तन कैंसर काफी ज्यादा देखने में आ रहा है जो बेहद खतरनाक होने के साथ काफी पीड़ादायक होता है यदि सही समय पर अगर इसके लक्षणों को पहचान कर उपचार किया जाए तो इसका इलाज बेहद सरल बन जाता है कैंसर में सबसे ज्यादा खतरा होता है युवाओं को जो आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में खुद को तनावमुक्त रखने के लिए धूम्रपान का सहारा लेते हैं विश्व को कैंसर मुक्त करने के लिए आप ही कदम बढ़ाए और खुद तथा अपने सगे संबंधियों को तंबाकू सिगरेट शराब आदि से दूर रहने की सलाह दीजिए कैंसर कोई आम बीमारी नहीं है बल्कि यह गंभीर बीमारी है कई लोग इस से जंग जीत जाते हैं तो कई लोग जिंदगी की रेस में हार भी जाते हैं और इस बीमारी के कारण उनकी जान चली जाती है कैंसर भी कई तरीके के होते हैं इनमें स्तन कैंसर सर्वाइकल कैंसर पेट का कैंसर ब्लड कैंसर गले का कैंसर गर्भाशय का कैंसर अंडाशय का कैंसर प्रोस्टेट पौरुष ग्रंथि कैंसर मस्तिष्क कैंसर लिवर कैंसर बोन कैंसर मुंह का कैंसर और फेफड़ों का कैंसर शामिल है जिस किसी को भी कैंसर की बीमारी होती है उसका इलाज काफी लंबा चलता है इसके लिए कई लोगों को तो विदेश तक जाना पड़ता है बड़े-बड़े अस्पतालों की महंगी फीस देने के बाद भी कई लोग बच नहीं पाते कई दवाओं से लेकर लंबा इलाज इस बीमारी में चलता है लेकिन अगर हम इस बीमारी के शिकार होते हैं तो हमें कभी अंदर से हार नहीं माननी चाहिए इससे बचने के लिए आपको शराब का सेवन नहीं करना चाहिए और फाइबर युक्त डाइट लेनी चाहिए अगर बात यह कि जाए कि आखिर विश्व कैंसर दिवस क्यों मनाया जाता है तो इसके पीछे उद्देश्य यह है कि आम लोगों को कैंसर के खतरों के बारे में जागरूक और इसके लक्षण से लेकर इसके बचाव के बारे में जानकारी दी जा सके कई लोग कैसा भी मानना है कि कैंसर छूने से भी फैलता है जिसके कारण लोग कैंसर के रोगियों से अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है बल्कि यह धारणा पूरी तरह गलत है हमें मरीजों से भेदभाव करने की जगह उनका साथ देना चाहिए
विश्व कैंसर दिवस प्रत्येक वर्ष 4 फरवरी को मनाया जाता है आधुनिक विश्व में कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसे सबसे ज्यादा लोगों की मृत्यु होती है विश्व में इस बीमारी की चपेट में सबसे अधिक लोग हैं तमाम प्रयासों के बावजूद कैंसर के मरीजों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है इसी कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस की तरह मनाने का निर्णय लिया ताकि लोगों को इस भयानक बीमारी कैंसर से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जा सके और लोगों को अधिक से अधिक जागरूक किया जा सके ऐसा माना जा रहा है कि 2023 तक कैंसर के मरीजों की संख्या एक करोड़ से भी अधिक हो सकती हैं एक अनुमान के मुताबिक 2005 में 7.6 लाख लोग कैंसर से मौत के आगोश में समा गए थे इतनी बड़ी संख्या में लोगों के मरने से और विश्वा स्तर पर इस बीमारी के फैलने से चिंतित है
विश्व कैंसर दिवस के इतिहास के बारे में बात करें तो इसकी सही शुरुआत वर्ष 2005 से हुई थी और तब से यह दिन विश्व में कैंसर के प्रति निरंतर जागरूकता फैला रहा है भारत में भी इन सभी स्वास्थ्य संगठन ने जागरूकता फैलाने का निर्णय लिया है भारत उन देशों में काफी आगे है जहां तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों की वजह से कैंसर की मरीज की संख्या बहुत ज्यादा है कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज तो अभी तक नामुमकिन नहीं हो पाया है पर इसे काबू करना और इससे बचाव संभव है वैसे कैंसर हो जाने पर इससे छुटकारा पाना मुश्किल होता है पर नामुमकिन नहीं मरीज अगर दृढ़ इच्छाशक्ति से इस बीमारी का सामना करें और सही समय पर इसका इलाज मुहैया हो तो इलाज संभव हो जाता है साथ ही हमेशा से माना जाता है कि उपचार से बेहतर है बचाओ इसी तरह कैंसर होने से बचे रहने में ज्यादा समझदारी है।