तिलकराम मंडावी/ डोंगरगढ़। पूरी जिंदगी अविवाहित रहकर स्वामी विवेकानंद के प्रचार-प्रसार में लगें रहे रामकृश्ण मिषन सेवा समिति के अध्यक्ष श्रीराम अग्रवाल ने अपनी इह लीला समाप्त कर ली। उनकी मौत दुखद है। क्योंकि जिंदगी के अंतिम पड़ाव में उन्होंने आत्महत्या करके मौत को गलें लगा लिया। वे कुछ समय से बीमारी के चलतें मानसिक रूप से परेषान थे। बुधवार देर रात उन्होंने वार्ड 12 स्थित निवास के कुएं में कूदकर आत्महत्या कर लिया। 65 वर्शीय श्रीराम अग्रवाल का षव कूएं में मिला। मिली जानकारी के अनुसार श्रीराम अग्रवाल देर रातघर से निकलें। सुबह घर वालों ने इधर-उधर पतासाजी की। कुएं के समीप उनकी चप्पल मिली। तब परिजनों को आषंका हुई। कुएं में लोहे का कांटा डाला गया। कांटा की पकड़ में कपड़ा और लाष को कुएं से बाहर निकाला गया। परिजनों को आषंका है कि बीमारी के चलतें कुछ समय से परेषान चल रहे थे। मानसिक रूप से परेषान के चलतें उन्होंने आत्महत्या का कदम उठा लिया। षव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया गया।
अविवाहित रहकर पूरा जीवन विवेकानंद के प्रचार में लगें रहे- श्रीराम अग्रवाल स्वामी विवेकानंद के जीवन से काफी प्रेरित थे। उन्होंनें भी जिंदगी भर अविवाहित रहनें का निर्णय लिया और विवेकानंद के प्रचार-प्रसार में ही लगें रहे। उनकी लिखी हुई कई पुस्तकें भी प्रकाषित हुई। साथ ही रामकृश्ण मिषन सेवा समिति के अध्यक्ष रहतें हुए स्कूल-कॉलेजों में रोजाना व्याख्यान देनें जातें थे। विवेकानंद के आदर्षों पर चलकर प्रचार करतें रहे। उनका कहना था कि वैवाहिक जीवन में बंधनें के बाद वे स्वामी विवेकानंद के बताएं मार्ग पर चल नहीं पाएंगे इसलिए अविवाहित रहकर पूरा जीवन समर्पित कर दिया। अन्य राज्यों तक भी किया प्रचार-प्रसार: सरस्वती षिषु मंदिर डोंगरगढ़ के संस्थापक सदस्य के अलावा रायपुर के रामकृश्ण मिषन संस्थान में रहकर काम किया। साथ ही छत्तीसगढ़ के अलावा दूसरें राज्यों में भी पहुंचकर स्वामी विवेकानंद के जीवन का प्रचार-प्रसार करतें थे। साथ ही लॉकडाउन में भी उन्होंने गरीबों व असहायों की मदद की पहल भी की थी। पत्र-पत्रिकाओं व अन्य पुस्तकों का नि:षुल्क वितरण करतें रहे। उनकी मौत ने धर्मनगरी के लोगों स्तंभ कर दिया।
मानसिक रूप से परेशान श्रीराम अग्रवाल ने कुंए में कूदकर की आत्महत्या
