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आंदोलन दिलचस्प मोड़ पर : रोज़गार सहायक एवं पंचायत सचिवों ने  कांकेर, नरहरपुर में भीख मांग कर 14 वें दिन भी रखी हड़ताल को जारी

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  • हो सकता है भैंस को बांधकर भैंस के आगे बीन बजाने का कार्यक्रम

अक्कू रिजवी/ कांकेर। छत्तीसगढ़ प्रदेश पंचायत सचिव संघ  के आव्हान पर प्रदेश भर में पंचायत सचिवों तथा ग्राम रोज़गार सहायक लोगों का आंदोलन 26-12- 2020 से जारी है। पंचायत सचिवों की एक सूत्री मांग है कि परिवीक्षा अर्थात प्रोबेशन पीरियड समाप्त होने के बाद उन्हें शासकीय कर्मचारी की तरह संविलियन कर लिया जाए जैसा कि शिक्षाकर्मियों के लिए वर्तमान सरकार ने किया है। इसके अलावा पंचायत सचिवों की अन्य कोई भी मांग नहीं होने के बावजूद सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है, जिसके कारण आंदोलन लंबा खिंच रहा है और पंचायतों के सारे कार्य ठप पड़े हैं । ज्ञातव्य है कि पंचायत सचिवों द्वारा अनेक विभागों के कार्य किए जाते हैं तथा महात्मा गांधी के उपदेश के अनुसार पंक्ति में सबसे आखिर में खड़े व्यक्ति तक पहुंच कर उसकी समस्याएं सुलझाना और राहत पहुंचाना, यह कार्य पंचायत सचिवों के माध्यम से ही छत्तीसगढ़ में चल रहा है लेकिन सरकार द्वारा उनकी एक सूत्री मांग भी पूरी न की जाने के कारण पंचायत सचिव चाह कर भी जनता को फिलहाल कोई राहत नहीं पहुंचा पा रहे हैं। भविष्य में आंदोलन को उग्र करने हेतु संघ ने यह तय किया है कि जनप्रतिनिधियों को बुलाकर समर्थन लेंगे तथा सरकार के बहरे कानों तक आवाज़ पहुंचाने हेतु ढोल, नगाड़ा आदि पीटकर विरोध करेंगे । सरकार को सद्बुद्धि आए, इसके लिए हवन यज्ञ भी करेंगे । इस हेतु आज कांकेर में हवन  भी किया गया। नरहरपुर तहसील मुख्यालय में  आज ही  प्रदर्शनकारियों द्वारा  भीख मांगी गई , जिससे  एकत्र  राशि  मुख्यमंत्री जी को  प्रेषित की जाएगी , ऐसा  उनके द्वारा  मांगे जा रहे भी के डब्बे में लिखा हुआ था,  जिसे पढ़ पढ़ कर लोग बड़ा आनंद ले रहे थे । सरकार का और भी मखौल उड़ाने हेतु प्रत्येक धरना स्थल में एक निश्चित दिवस पर भैंस ला कर उसके आगे बीन बजा कर सरकार पर व्यंग्य किया जाएगा, जिसके दर्शक सभी लोग होंगे। रायपुर जाकर बूढ़ा तालाब के पास धरना स्थल पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा तथा मुख्यमंत्री आवास का भी समस्त छत्तीसगढ़ से आए हुए पंचायत सचिवों द्वारा घेराव किया जाएगा। यदि इस धरना प्रदर्शन और आंदोलन में कोई अप्रिय स्थिति बनती है तो उसके ज़िम्मेदार शासकीय अधिकारी होंगे जो एक लंबे अरसे से पंचायत सचिवों की मांगों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं तथा लगातार टाले जा रहे हैं जबकि वे आसानी से एक छोटे से फैसले द्वारा एक सूत्री मांग पूरी कर सकते हैं। आशा है कि अब तो प्रदेश सरकार पंचायत सचिवों तथा रोज़गार सहायकों की एक सूत्री वाजिब मांग पर सहानुभूति पूर्वक विचार करेगी।

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