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पंचायत सचिवों का आंदोलन दिलचस्प मोड़ पर…

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अक्कू रिजवी/ कांकेर : प्रदेश पंचायत सचिव संघ छत्तीसगढ़ के आव्हान पर प्रदेश भर में पंचायत सचिवों तथा ग्राम रोजगार सहायक लोगों का आंदोलन 26 / 12 / 2020 से जारी है। पंचायत सचिवों की एक सूत्री मांग है कि परिवीक्षा अर्थात प्रोबेशन पीरियड समाप्त होने के बाद उन्हें शासकीय कर्मचारी की तरह संविलियन कर लिया जाए जैसा कि शिक्षाकर्मियों के लिए वर्तमान सरकार ने किया है। इसके अलावा पंचायत सचिवों की अन्य कोई भी मांग नहीं होने के बावजूद सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है जिसके कारण आंदोलन लंबा खींच रहा है और पंचायतों के सारे कार्य ठप पड़े हैं ज्ञातव्य है कि पंचायत सचिवों द्वारा अनेक विभागों के कार्य दिए जाते हैं तथा महात्मा गांधी के उपदेश के अनुसार पंक्ति में सबसे आखिर में खड़े व्यक्ति तक पहुंच कर उसकी समस्याएं सुलझाना और राहत पहुंचाना, यह कार्य पंचायत सचिवों के माध्यम से ही छत्तीसगढ़ में चल रहा है लेकिन सरकार द्वारा एक सूत्री मांग भी पूरी न की जाने के कारण पंचायत सचिव चाह कर भी जनता को कोई राहत नहीं पहुंचा पा रहे हैं। भविष्य में आंदोलन को उग्र करने हेतु संघ ने यह तय किया है कि जनप्रतिनिधियों को बुलाकर समर्थन लेंगे तथा सरकार के बहरे कानों तक आवाज पहुंचाने हेतु ढोल नगाड़ा आदि पीटकर विरोध करेंगे । सरकार को सद्बुद्धि आए, इसके लिए हवन यज्ञ भी करेंगे । प्रत्येक धरना स्थल में एक निश्चित दिवस पर भैंस ला कर उसके आगे बीन बजा कर सरकार पर व्यंग्य किया जाएगा, जिसके दर्शक सभी लोग होंगे। रायपुर जाकर बूढ़ा तालाब के पास धरना स्थल पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा तथा मुख्यमंत्री आवास का भी समस्त छत्तीसगढ़ से आए हुए पंचायत सचिवों द्वारा घेराव किया जाएगा। यदि इस धरना प्रदर्शन और आंदोलन में कोई अप्रिय स्थिति बनती है तो उसके जिम्मेदार शासकीय अधिकारी होंगे जो एक लंबे अरसे से पंचायत सचिवों की मांगों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं तथा लगातार टाले जा रहे हैं जबकि वे आसानी से एक छोटे से फैसले द्वारा 1 सूत्री मांग पूरी कर सकते हैं।

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