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सागौन तस्करी में आईटीबीपी जवानों ने दिया संरक्षण, ग्रामीणों ने घेरा, रात भर अति संवेदनषील एरिया में रही फोर्स, जिम्मेदारी किसकी?

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तिलकराम मंडावी/ डोंगरगढ़ : नक्सल मूवमेंट से अति संवेदनषील एरिया में षामिल तोतलभर्री से सागौन तस्करी के मामलें में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी) की भूमिका सामनें आई है। ग्रामीणों ने जब सागौन ले जातें हुए एक राजस्थानी को पकड़ तो संरक्षण देने आईटीबीपी के जवान संवेदनषील एरिया में आधी रात को पहुंच गए। मामला ऐसा गरमाया कि पुलिस फोर्स को भी मौके पर जाकर स्थिति संभालनी पड़ी। षनिवार रात को तोतलभर्री के किसान मंथीर यादव के खेत से तस्कर सागौन की कटाई करके अवैध परिवहन कर रहे थे। तस्करी करतें हुए ग्रामीणों ने पकड़ लिया और हंगामा षुरू हुआ। ग्रामीणों के पकड़ने ंके कुछ देर में ही आईटीबीपी के जवान पहुंच गए और धौंस दिखातें हुए बहसबाजी की। लेकिन ग्रामीणों ने मोबाइल से वीडियों बनाना षुरू कर दिया और जवानों को घेर लिया। हंगामा बढ़ता देख आधी रात करीब 250 से अधिक जवान पहुंच गए और मामलें को रफा-दफा करनें में लग गए। तस्करी पकड़ें जानें के बाद जो जवान पहुंचें थे वे राजनांदगांव कैंप के बताएं जा रहे है। जो सागौन तस्करी में संरक्षण देकर कटाई करा रहे थे। ग्रामीणों द्वारा हंगामें की खबर मिलनें के बाद एसडीओपी चंद्रेष ठाकुर भी मोहारा व डोंगरगढ़ थानें से बल लेकर रवाना हुए और स्थिति को परखा। ग्रामीणों का आरोप था कि कैंप के जवान तस्करी करा रहे है। जब पकड़े गए तो धौंस दिखाकर मामलें को दबाया जा रहा है। आईटीबीपी जवानों को घेरकर ग्रामीण कार्रवाई की मांग को लेकर अड़ गए। पुलिस फोर्स को रात भर अति संवेदनषील एरिया में रात गुजारना पड़ा।
आखिर जवानों की मनमानी का जवाबदार कौन?: आईटीबीपी के जवान आखिर राजनांदगांव से आधी रात नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कैसे पहुंच गए। क्योंकि जवानों को प्रोटोकॉल के हिसाब से ही आवाजाही करनी होती है। किसी भी एरिया में जानें के लिए संबंधित थाना को सूचना देनी होती है। लेकिन तस्करी के मामलें में जवानों ने मनमानी करतें हुए संवेदनषील एरिया में प्रवेष कर लिया और आधी रात ग्रामीणों पर रौब जमानें लगें। इनकी मनमानी पर आखिर जवाबदार कौन है? बताया जा रहा है कि आईटीबीपी के संरक्षण में सागौन का परिवहन किया जा रहा था। इसलिए पकड़ें जानें पर जवान संरक्षण देने पहुंच गए।
नेटवर्क कनेक्टिविटी से दूर गांव में रात भर चला हंगामा- तोतलभर्री नेटवर्क कनेक्टिविटी से भी वंचित है। यहां पर जवानों को घेरनें के बाद हंगामा षुरू हुआ। जवान फोर्स का रौब जमाकर ग्रामीणों पर दबाव बनातें रहे। लेकिन ग्रामीणों के आगें उनकी नहीं चली। सूचना मिलनें पर स्थानीय पुलिस को बल लेकर मौके पर जाना पड़ा। आईटीबीपी जवानों की मनमानी के चलतें ही आधी रात पुलिस को संवेदनषील इलाके में घुसना पड़ा। इसे लेकर स्थानीय अफसरों ने भी नाराजगी जताई है। अफसरों ने भी माना है कि अवैध कार्य में जवानों का संरक्षण देना जायज नहीं है। सुबह तक पुलिस फोर्स गांव में डटी रही।
पंचनामा तो बनाया लेकिन जब्ती को लेकर उलझें रहे अफसर- ग्रामीणों के आक्रोष को देख वन विभाग के अफसर भी देर रात मौके पर पहुंचे। लेकिन फॉरेस्ट अफसरों पर भी जवानों ने रौब दिखाया। आखिर में पंचनामा तैयार करके वन विभाग ने सागौन लकड़ी को अपनें कब्जें में ले तो लिया है। किंतु जब्ती की कार्रवाई को लेकर फॉरेस्ट व राजस्व विभाग के अफसर उलझें रहे। क्योंकि यदि मंथीर यादव के खेत से कटाई की गई होगी तो प्रकरण राजस्व में बनेगा। इसलिए रविवार को दोनों विभाग के अफसर तोतलभर्री में रहकर वास्तविक स्थिति का पता लगातें रहे। अफसरों ने साफ किया है कि मामलें में कार्रवाई अवष्य होगी। मौके से 13 नग लकड़ी व एक ठूंठ जब्त किया है।
वन विभाग भी संदेह के दायरें में, लगातार सामनें आ रहा प्रकरण- रानीगंज बीट में पहलें जंगली जानवरों का षिकार का मामला हाल ही में सामनें आया था। इसके दो दिन बाद ही सागौन तस्करी का प्रकरण खुल गया। जबकि ढ़ारा में जांच चौकी होनें के बाद भी रात में लकड़ी तस्करी का खुला खेल चल रहा है। वन विभाग की कार्यप्रणाली भी संदेह के दायरें में आ गई है। फॉरेस्ट अमला अब तक षिकारियों को पकड़ नहीं पाया है। वहीं जांच चौकी होनें के बावजूद सागौन की तस्करी नाक के नीचे हो रही थी। बताया गया कि लकड़ी की दूसरी खेप लेनें गाड़ी पहुंची थी तब ग्रामीणों ने रंगे हाथ पकड़ लिया।
यहां से षुरू हुआ तस्करी का पूरा मामला– ग्रामीणों ने बताया कि मंथीर यादव ने राजस्थान के किसी टैªक्टर वालें से अपनें खेत का काम कराया था। जिसे वह पैसा नहीं दे रहा था। जिसके बाद टैªक्टर वालें ने सागौन को ले जानें की बात कही। उसनें आईटीबीपी से संपर्क साधा और कटाई करनें के बाद परिवहन करनें लगा। टैªक्टर वालें को जब ग्रामीणों ने पकड़ा तब राजनांदगांव से आईटीबीपी के जवान आधी रात पहुंच गए। यानी जंगल संरक्षण की आड़ में कैंप के जवान ही लकड़ी तस्करी को अंजाम दिला रहे है।

सागौन की कटाई कर ले जातें हुए तोतलभर्री के ग्रामीणों ने एक व्यक्ति को पकड़ा था। बाद में जानकारी मिली कि आईटीबीपी के जवान परिवहन करा रहे थे और संरक्षण देने पहुंचें थे। पंचनामा बनाकर हमारी टीम ने सागौन को कब्जें में ले तो लिया है, लेकिन निजी जमीन होनें से प्रकरण राजस्व का बनेगा। फिलहाल मामलें की पूरी जांच की जा रही है। कैंप के जवानों का सागौन ले जानें में संरक्षण देना गलत है।
टीए खान, एसडीओ फॉरेस्ट डोंगरगढ़

षनिवार रात को जानकारी मिली कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र तोतलभर्री के ग्रामीणों ने कुछ जवानों को घेर लिया है। जिसके बाद पुलिस बल लेकर मौके लिए रवाना हुआ। यदि प्रकरण में आईटीबीपी की भूमिका है तो यह बिलकुल गलत है। हमनें हंगामा होनें के बाद व्यवस्था संभालनें रात भर कवायद किया। राजस्व व फॉरेस्ट के अफसर जांच कर रहे है।
चंद्रेश ठाकुर, एसडीओपी डोंगरगढ़

सागौन की कटाई करके अवैध परिवहन करना पूरी तरह से गलत है। रात में फॉरेस्ट ने लकड़ी को अपनें कब्जें में ले लिया था। लेकिन जमीन की जांच कराई जा रही है। मामलें में अवष्य कार्रवाई होगी। आईटीबीपी के जवानों की भूमिका की जानकारी मिलनें के बाद उच्चाधिकारियों को भी अवगत करा दिया गया है। जवानों को प्रोटोकॉल का पालन करतें हुए संवेदनषील एरिया में प्रवेष नहीं करना चाहिए था।
अविनाष भोई, एसडीएम डोंगरगढ़

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