समैया पागे/बीजापुर। ज्ञातव्य हो कि विश्वानिया सूत्रों ने अफसरों केे डर से नाम न छापने के शर्त पर मिली जानकारी के अनुसार बीजापुर चावल गोदाम से गरीबों का राशन सोसाइटियों तक पहुंचाने का जिम्मा लिए ट्रांस्पोटिग के मालिक से जुड़ा गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आया। अमूमन गरीबों को राशन मुहैया कराने वाली सार्वजनिक वितरण प्रणाली ( सोसााइटियों ) में राशन पहुंचाने का जिम्मा लिए ठेकेदार के द्वारा व्यापक पैमाने पर लाखों रुपयों का सेंधमारी करने की घटना विगत कई दिनों से बजार में चर्चा का विषय बना हुआ है। मसलन खाद्य विभाग के चौतरफा कमीशन खोरी का गोरखधंधा फलने फूलने सेे ठेकेदार अपना हित साधनेे षड्यंत्र पूर्वक गुपचुप तरीके से उसूर एवं बीजापुर ब्लाक के सोसायटियों मेंं गरीबों को बांटने वाला गुड़ और चना का बंदर बांट करने का सिलसिला बीते कई दिनों से सुर्खयि़ों मेंं हैं। मामले के अनुक्रम में सच का पता लगाने मीडियाकर्मी चावल गोदाम पहुंचकर मौजूद कर्मचारी से पुछा कि अक्टूबर दिसम्बर इन दो महिनों में कौन सा बैंच नंबर का चना,गड़ चावल गोदाम में आया इतना सुुनते ही कर्मचारी तिलमिला, वाहन नंबर सहित चना गुड़ की बैच नंबर अंकित दस्तावेज तथा तौल पत्रक की दस्तावेज मांग करने पर छोटा कर्मचारी होने का हवाला देकर भोपालपटनम और बीजापुर चावल गोदाम के इंचार्ज ए के पामभोई है उनसे संपर्क कर जानकारी लेने को कहा। कर्मचारी केे मुताबिक ए के पामभोई से दूरभाष पर संपर्क करने पर उन्होंने ट्रांस्पोटिंग वाहन मालिक का नाम रामेश सिंह बताते हुए वही नान आफिस जिला कार्यालय बीजापुर डी एम से जानकारी प्राप्त करने को कहा। इस तरह गोल-मोल जवाब देकर सच को जनहित में प्रकाशित होने सेे मीडिया को भटकाने का प्रयास किया गया। बावजूद इसके मीडियाकर्मी जिम्मेदारी से पीछे हटा नहीं। कलेक्टर कार्यालय सेेंकड फ्लोर में संचालित नान आफिस पहुंचकर मुख्यद्वार प्रवेश करते ही काउंटर पर बैठे सुरक्षा कार्मी से हुई रुबरु मेंं राजधानी से किस वाहन सेे चना,गुड़ आया उस वाहन का नंबर तथा चना गुड़ का बैंच नंबर सहित तौल पत्रक की जानकारी मांगने पर संबंधित विभाग अधिकारी के पास दूरभाष पर संपर्क कर बताया कि गुड़ चना पॉकेट में कोई बैंच नंबर नहीं होता हैं। आनलाईन देनदारी के चलते ट्रांस्पोटिंग एवंं चना गुड़ के संदर्भ में किसी भी प्रकार की लिखित दस्तावेज नान आफिस को नहीं मिलती है। इसलिए यहां से जानकारी नहीं मिलेेेगी। इससे सहज अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि सच का पड़ताल करने की जहमत उठाई मीडिया से विभागीय कर्मचारियों ने गोल-मोल जवाब देकर संभवत: एक बड़े घोटाले को दबाने के लिए कहीं न कहीं सच पर झूठ का पर्दा डालने की जुुुगत मेंं लगे होने से इंकार नहीं किया जा सकता। इधर मौजूदा समय में सेंधमारी के अलावा सोसाइटियों तक राशन पहुंचने पीडीएस की कार्यप्रणाली में अनियमितताओं और उल्लंघन की शिकायतें मिलते हैं पर जांच और कार्रवाई विभाग के फाईलों में सिमट जाता हैं। सरकार पीडीएस को पूरी तरह से भ्रष्टाचार से मुक्त बनाने की दिशा में काम कर रही है। लेकिन अभी तक सेंधमारी पर रोक नहीं लगी। जबकि पीडीएस के नियमों में किसी भी तरह का उल्लंघन दंडात्मक है। विदित हो कि ठेकेदार द्वारा स्थानीय मीडिया से किए गए अभद्र व्यवहार से आहत मीडिया जिला प्रशासन से मुलाकात कर अवगत कराया जाने बाद प्रशासन ने कहा जांच में समाने आती हैं तो मीडिया से किसी भी तरह से बदसलूकी करने पर कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया।
मामले में शसिंह क्या कहते हैंं
मामले के संदर्भ में प्रतिक्रिया देते हुए मनीष सिंह ने कहा टेंडर होने बावजूद भी मेरा कोई टेंडर नहीं है। मेरा ट्रा़ंस्पोटिग का काम है। चावल गोदाम से सोसाइटियों तक राशन पहुंचाने का काम करता हूं। मामले में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए दोषी पाए जाने पर चना गुड़ का बंदर बांट किया हैं उन पर अवश्य प्रशासन कार्रवाई करें ।