- प्रशासन के पास श्रीवास्तव से कहीं अधिक वरिष्ठ अधिकारी मौजूद हैं लेकिन उन्हें दरकिनार कर अज्ञात कारणों से श्रीवास्तव को ही एसडीओ बनाए रखा जा रहा है जो न केवल गलत परंपरा है बल्कि अनेक संदेहो को भी जन्म देती है…!!!
- श्रीवास्तव को ही एसडीओ बनाए रखाना जो न केवल गलत परंपरा है बल्कि अनेक संदेहो को भी जन्म देती है..!!
- सीनियर अफ़सर जो अनुविभागीय अधिकारी पोस्ट के क़ाबिल हैं उनको नहीं दिया जा रहा है मौका….!!!
अक्कू रिजवी/ कांकेर : कांकेर ज़िला प्रशासन में एक बहुत बड़ी अनियमितता देखने में आ रही है। वह यह है कि एक छोटे अधिकारी को अपने स्तर के हिसाब से बहुत बड़े अधिकारी के पद का प्रभार दे दिया गया है । यह प्रभार दो-चार दिनों के लिए होता तो उसे मजबूरी समझ कर स्वीकार किया जा सकता था लेकिन 1 साल और 1 महीने हो जाने के बाद भी छोटा अफसर अपने कर्तव्यों के साथ साथ बड़े अफसर की कुर्सी पर भी जमकर चिपका हुआ है। सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है कि सारे नियम कानूनों को ताक पर रखकर एक छोटे तथा कम योग्यता रखने वाले अधिकारी को लाभान्वित किया जा रहा है जबकि विभाग में उस से कहीं सीनियर और अच्छे अधिकारी मौजूद हैं, जो अनुविभागीय अधिकारी का प्रभार लेने की योग्यता तथा क्षमता दोनों रखते हैं, फिर भी प्रशासन द्वारा उन सीनियर अफसरों की उपेक्षा करते हुए एक जूनियर को प्रभार थमा देना, वह भी अनिश्चित काल के लिए कहां तक उचित है ? यह आम जनता की समझ के परे है। मामला ग्रामीण यांत्रिकी सेवा जनपद पंचायत विभाग का है, जहां के उप अभियंता विकास कुमार श्रीवास्तव को गत वर्ष 19 नवंबर 2019 को तत्कालीन कलेक्टर के हस्ताक्षर से कांकेर अनु विभाग के अनुविभागीय अधिकारी अर्थात एसडीओ का प्रभार दे दिया गया है । उनके आदेश पत्र में लिखा हुआ है कि आगामी आदेश पर्यंत विकास श्रीवास्तव अनुविभागीय अधिकारी के चार्ज में रहेंगे और वह आगामी आदेश आज तक जारी नहीं हुआ है तथा श्रीवास्तव साहब 13 महीनों से एसडीओ की कुर्सी पर अकड़ कर बैठे हुए हैं। प्रशासनिक क्षेत्रों में इसे एक अच्छी परंपरा नहीं माना जाता यदि किसी छोटे अधिकारी को प्रभार दिया जाए तो वह जल्द से जल्द समाप्त किया जा कर पूर्ण अधिकार वाले अधिकारी को सौंपा जाना अति आवश्यक होता है लेकिन यहां तो 13 महीने बाद भी किसी अधिकार संपन्न अनुविभागीय अधिकारी को आदेश नहीं मिला है कि वह जाकर विकास श्रीवास्तव का प्रभार समाप्त करें और पूर्ण रूप से कार्यभार ग्रहण करें ज्ञातव्य है कि प्रशासन के पास श्रीवास्तव से कहीं अधिक वरिष्ठ अधिकारी मौजूद हैं लेकिन उन्हें दरकिनार कर अज्ञात कारणों से श्रीवास्तव को ही एसडीओ बनाए रखा जा रहा है जो न केवल गलत परंपरा है बल्कि अनेक संदेहो को भी जन्म देती है।