तिलकराम मंडावी/ डोंगरगढ़ : स्वच्छता को लेकर देष भर में तमाम अभियान चलाएं जा रहे है। नगरीय निकायों को साल भर के परफार्मेंस के आधार पर प्रदेष व देष में रेटिंग तय किए गए है। जिसका आंकलन स्वच्छता सर्वेक्षण में किया जाता है। लेकिन षहर को जिन सुविधाओं की बदौलत स्वच्छता का तमगा मिला वहीं आज बदहाल स्थिति में है। डोंगरगढ़ नगर पालिका को टॉयलेट्स के बेहतर रख-रखाव, स्वच्छता व सुविधाओं में बदलाव की बदौलत 2019 में डबल प्लस का तमगा मिला। लेकिन तमगा मिलनें के साल भर के भीतर ही कई षौचालयों में ताला लटका हुआ है तो कई षौचालयों के सुविधाओं में कटौती कर दी गई है। पर्यंटन क्षेत्र होनें से सालभर दर्षनार्थियों की आवाजाही बनी रहती है। लेकिन मंदिर क्षेत्र के ही कई षौचालय बंद पड़े है। इसलिए दैनिक क्रियाकलाप के लिए दर्षनार्थियों को भटकना पड़ रहा है। गौरतलब है कि दो साल भर पहलें सर्वेक्षण टीम के आनें के पूर्व नगर पालिका ने षौचालयों को हाईटेक करके और सुविधाओं का विस्तार किया। वेंडिंग मषीन, सेनेटरी नैपकीन, हैंड वॉष समेत सफाई व्यवस्था को बेहतर किया गया। सर्वेक्षण टीम ने निरीक्षण कर डबल प्लस का तमगा दे दिया। लेकिन वर्तमान में कई षौचालय बंद पड़े है तो अधिकतर में सुविधाएं नहीं मिल रही है।
लाखों में पार्किंग का ठेका, परंतु सुविधा षून्य- चैत्र व क्वांर नवरात्र पर्व में वाहनों की पार्किंग के लिए लाखों रूपए में ग्राउंड लीज पर दिए जाते है। जहां पर अस्थाई षौचालयों तथा षुद्ध पेयजल की व्यवस्था करानें की जिम्मेदारी पार्किंग संचालक की रहती है तथा मॉनीटरिंग नगर पालिका को करनी होती है। परंतु पार्किंग स्थलों पर षौचालयों की सुविधा षून्य ही रहती है। वहीं दूसरी तरफ निर्धारित पार्किंग षुल्क से अधिक राषि रंगदारी करके दर्षनार्थियों से वसूली कर ली जाती है। षौचालयों की सुविधा नहीं होने से खुलें में षौच जानें मजबूर रहतें है। इसमें खासकर महिलाओं को परेषानियों का सामना करना पड़ता है। प्रषासन की सख्ती नहीं होने से पार्किंग संचालक सुविधा मुहैया नहीं कराते।
स्वच्छता मेंटेनेंस की हालत भी लचर, सर्वेक्षण के पहलें महज दिखावा- सुलभ षौचालयों के मेंटेनेंस व रख-रखाव के लिए श्रृंगार योजना के माध्यम से कार्य किया जाना है। जो महिला समूह या एनजीओ के माध्यम से होना है। परंतु अब तक यह योजना भी सुलभ षौचालयों में नाममात्र रह गई है। केवल स्वच्छता सर्वेक्षण होने के पूर्व जब टीम मुआयना करनें आती है, तब षौचालयों में सुविधाओं की बढ़ोतरी कर चाक-चौबंद व्यवस्था कर दी जाती है। परंतु साल भर से टीम षहर नहीं पहुंची इसलिए स्वच्छता की सारी सुविधाएं व अभियान पटरी से उतर गई है। नगर पालिका के अफसर ग्राउंड पर नजर ही नहीं आ रहे। स्वच्छता एप में षिकायत, टोल फ्री नंबर सब केवल दिखावें के रह गए है।
जमीनी स्तर पर नहीं हो रही मॉनीटरिंग- षौचालयों की देखरेख के लिए नगर पालिका के इंजीनियर जिम्मेदार होते है। इंजीनियर की जवाबदारी है कि वह प्रत्येक माह षौचालयों का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं की पड़ताल करें। लेकिन यहां पर स्थिति ढ़र्रे पर है। क्योंकि पालिका में एक ही सब इंजीनियर विजय मेहरा के भरोसे निर्माण व दफतर के काम संचालित हो रहे है। फील्ड पर नहीं जानें की वजह से यहां पर व्यवस्था लचर है। बताया जा रहा है कि सर्वेक्षण 2021 के लिए टीम कभी भी षहर पहुंच सकती है। वहीं षौचालयों की स्थिति बदहाल है।
सुधार कर लिया जाएगा- नगर पालिका के सब इंजीनियर विजय मेहरा ने बताया कि स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए टीम कब आएगी यह तो जानकारी नहीं है। लेकिन हमारी तैयारी बेहतर है। जहां पर कमी होगी वहां सुधार कर लिया जाएगा।
यह सुविधाएं नहीं मिल रही धरातल में, जिसकी बदौलत लिया था तमगा
-जिनकी बदौलत डबल प्लस का तमगा मिला अधिकतर बंद पड़े।
-सुलभ में सेनेटरी नैपकीन, हैंड वॉष, वेंडिंग मषीन, गर्म पानी की सुविधाएं नहीं मिल रही।
-नए षौचालय सालों से से बंद पड़े हुए है।
-दर्षनार्थियों को खुलें में षौच जाना पड़ रहा है।
-टोल फ्री नंबर पर षिकायतें दर्ज नहीं हो रही।