नई दिल्ली। दुनिया भर के मेडिकल सिस्टम पर एलोपैथी डॉक्टरों का कब्जा है. जिसका दुष्प्रभाव अब सामने आ रहा है. आज देश के डॉक्टरों ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नेतृत्व में हड़ताल पर जाने का फैसला किया है. शुक्रवार को सुबह 6 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे. इस दौरान क्लीनिक, डिस्पेंसरी और अस्पतालों में ओपीडी सेवा ठप रहेगी लेकिन आपातकालीन चिकित्सा ौर कोविड से जुड़ी उपचार सेवाएं जारी रहेंगी. डॉक्टरों के संगठन के अनुसार देश में 10 हजार क्लीनिक, डिस्पेंसरी और अस्पतालों में डॉक्टरों की हड़ताल रहेगी. डॉक्टरों ने धमकी दी है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों पर संज्ञान नहीं लिया तो आने वाले दिनों में विरोध प्रदर्शन तेज हो सकता है.
डॉक्टरों की नाराजगी की वजह
हड़ताल पर जाने का फैसला करने वाले डॉक्टर एलोपैथी से संबद्ध हैं. यह लोग विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद का महत्व बढऩे से नाराज हैं. हाल ही में सीसीआईएम की सिफारिश पर केन्द्र सरकार ने आयुर्वेद का महत्व बढ़ाने का फैसला करते हुए एक अध्यादेश जारी किया था. जिसके तहत आयुर्वेद में पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों को 58 प्रकार की सर्जरी सीखने और प्रैक्टिस करने की अनुमति दी गई. सीसीआईएम ने 20 नवंबर 2020 को जारी अधिसूचना में 39 सामान्य सर्जरी प्रक्रियाओं को सूचीबद्ध किया था, जिनमें आंख, नाक, कान और गले से जुड़ी हुई 19 छोटी सर्जरी प्रक्रियाएं हैं. लेकिन एलोपैथी के डॉक्टरों को इसपर आपत्ति है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा है कि सीसीआईएम की अधिसूचना और नीति आयोग की ओर से चार समितियों के गठन से सिर्फ मिक्सोपैथी को बढ़ावा मिलेगा. डॉक्टरों के संगठन ने अधिसूचना वापस लेने और नीति आयोग की ओर से गठित समितियों को रद्द करने की मांग करते हुए हड़ताल बुलाई है. एलोपैथी डॉक्टर आयुर्वेद को हीन नजरों से देखते हैं. यही वजह है कि सरकार ने जब आयुर्वेद का महत्व बढ़ाने की कोशिश शुरु की है, तो उन्हें आपत्ति हो रही है. यह सिर्फ नजरिए का फर्क है. एलोपैथी डॉक्टरों को शायद यह भ्रम है कि आयुर्वेदिक डॉक्टरों द्वारा किया हुआ ऑपरेशन मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. लेकिन अभी से लगभग 2600 साल पहले आयुर्वेद के महारथी महर्षि सुश्रुत प्लास्टिक सर्जरी और दिमाग का जटिल ऑपरेशन भी किया करते थे. उनकी प्रसिद्ध किताब सुश्रुत संहिता में इन जटिल ऑपरेशनों की पूरी प्रक्रिया का उल्लेख है.