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246 गांवों ने भरी हुंकार : 17 दिसंबर तक शराबबंदी नहीं तो खल्लारी से शुरू होगा जन-आंदोलन

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रवि सेन/ बागबाहरा : ओडि़शा सीमावर्ती ग्राम पंचायत नर्रा में विगत माह अवैध शराब को लेकर ग्रामीणों में झड़प हो चुकी है, यही नहीं अवैध शराब को लेकर ग्रामीण और पुलिस के बीच भी जमकर तकरार हुई थी. इस घटना के बाद कोमाखान के टीआई को लाइन अटैच किया गया था, वहीं एक पुलिस कर्मी को निलंबित किया गया था. जिला पुलिस प्रशासन नर्रा की घटना को गंभीरता से लेकर कार्रवाई करते नजर आया था पर नर्रा घटना के बाद से शराब की अवैध बिक्री पर रोकथाम करने आबकारी प्रशासन अब तक विफल साबित हुआ है. ओडि़शा सीमावर्ती एवं वनांचल क्षेत्र के गांवों में अवैध शराब बिक्री जोरों पर है. कई गांवों में ओडि़शा ब्रांड शराब बिक्री करने गांव के लोग ठेका देकर माहौल को दूषित करने से बाज नहीं आ रहे हैं. जनपद अध्यक्ष स्मिता हितेश चंद्राकर ने कहा है कि 17 दिसंबर छत्तीसगढ़ सरकार के 2 वर्ष पूर्ण होने तक घोषणा अनुसार शराबबंदी नहीं हुई तो खल्लारी माता की धरती से 246 गांवों की माता-बहनों को संगठित कर जन-आंदोलन खड़ा कर कांग्रेस सरकार को शराबबंदी करने मजबूर किया जाएगा.28 सितम्बर को नर्रा में पूरे गांव के ग्रामीणों का जनाक्रोश फूट पड़ा था, जिसमें अवैध शराब कारोबारियों के साथ पुलिस को भी खामियाजा भुगतना पड़ा था. अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई थी एवं ग्रामीणों के आक्रोश को शांत करने के लिए पुलिस द्वारा ग्रामीणों को अब पुरानी बात भूलने की बात कही गई थी और किसी पर कार्रवाई नहीं करने की बात कही गई थी, लेकिन अब गांव के मुखियाओं को गिरफ्तार करने पुलिस प्रशासन हरकत में आ गया है. उसी के विरोध में गत दिनों गांव में सांसद चुन्नीलाल साहू एवं जनपद अध्यक्ष स्मिता चंद्राकर की उपस्थिति में बैठक हुई, जिसमें ग्रामीणों पर दर्ज मामला को जनहित में वापस लेने शासन-प्रशासन में दबाव बनाने का निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा है कि यदि ग्रामीणों के खिलाफ पुलिस प्रशासन कार्रवाई करता है तो हम सड़क की लड़ाई लडऩे बाध्य होंगे. जिसकी समस्त जवाबदेही प्रशासन की होगी. छत्तीसगढ़ सरकार अपने वादा अनुसार अवैध शराब सामाजिक बुराई को बंद करें. आज शराब से गांव-गांव का माहौल अशांत हो चुका है. शराब से युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है. अध्यक्ष ने कहा है कि सरकार का शराबबंदी उडऩदस्ता आबकारी विभाग कहीं नजर ही नहीं आता, इस अवैध कारोबार को रोकने में आबकारी विभाग पूर्णत: विफल साबित हो चुका है. कहीं पर छापेमारी करते दिखाई नहीं देता है. आखिर आबकारी विभाग कर क्या रहा है. अवैध शराब की घटना को लेकर नर्रा में जो सिर फुटौव्वल हुआ है, उसकी पुनरावृत्ति न हो इस बात का ख्याल रखा जाना चाहिए पर ऐसा हो नहीं रहा है. नर्रा में सांसद एवं जनपद अध्यक्ष सहित प्राय: सभी ग्रामीण उपस्थित थे. पुलिस की कार्रवाई से एक बार फिर ग्रामीणों में आक्रोश भड़का है. पुलिस अवैध कारोबार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए अवैध कारोबार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को प्रताडि़त करना बंद करें.

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