रायपुर। किसानों के भारत बंद के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजीव भवन में प्रेसवार्ता ले रहे हैं। मुख्यमंत्री ने तीनों केन्द्रीय कृषि कानून को काला कानून बताया है। पूरे देश में अभूतपूर्व स्थिति पिछले दो ससाह से दिल्ली को घेरकर किसान बैठे हुए हैं। देश के सभी किसान संगठनों ने इस आंदोलन का समर्थन किया है। मुख्य रुप से बात यही है कि बिना किसी संगठनों के मांग के बिना, बिना किसी राजनीतिक दल के विचार विमर्श के जो तीन काले कानून बनाए गए हैं। जिसे तथाकथित रुप से भाजपा किसानों के हितैषी कानून बताते हैं जबकि ये पूंजीपति के लाभ के लिए बनाया गया कानून है। जिसमें मंडी एक्ट को भी खत्म किया जा रहा है। दूसरा जो कान्ट्रेक्ट फार्मिंग, तीसरा आवश्यक वस्तु अधिनियम को विलोपित करने के लिए जो तीन कानून बने हैं। ये सीधा सीधा 62 करोड़ से अधिक किसान इस देश के जो अन्नदाता है उसके खिलाफ ये काले कानून हैं। इसका विरोध हम लोगों ने शुरु से किया है। इससे किसानों का भला नहीं होने वाला है। यदि आप निजी क्षेत्र में मंडी देना चाहते हैं तो हम विरोध नहीं करेंगे। इसमें आप एक लाइन और जोड़ दीजियेकि कोई भी मंडी हो या मंडी के बाहर निजी मंडी हो या पैन कार्ड धारी हो वो समर्थन मूल्य से नीचे खरीदी नहीं करेंगे। और सरकार पूरे देश में समर्थन मूल्य में अनाज खरीदी की व्यवस्था करे। लेकिन केन्द्र सरकार की हठधर्मिता अनेक दौर की बैठक केन्द्रीय मंत्रियों के साथ होने के बाद भी हजारों लाखों किसान सड़क पर बैठे हैं। पानी की बौछार और अश्रुगैस व लाठीचार्ज करने के बाद भी डटे हुए हैं। इसका पूरा समर्थन कांग्रेस पार्टी ने अखिल भारतीय स्तर पर किया है। छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस पार्टी ने इसका समर्थन किया। साथ ही विधानसभा में भी हमने विशेष सत्र बुलाकर यह मंडी अधिनियम है जो हम अपने छत्तीसगढ़ के किसाने के हित में कर सकते थे वो पारित किया। कांग्रैस पार्टी देश के किसानों के हित के साथ खड़ी है। एक समय था जब देश मैं अनाज की कमी थी और इंदिरा जी के आह्वान पर किसानों ने हरित क्रांति का आंदोलन चलाया। और आज स्थिति यह है कि पूरे देश की जनता को तीन साल तक अनाज की आपूर्ति किया जा सकता है, इतना एफसीआई के गोडाउन में अनाज भरा है। ये मैहनतकश किसानों की वजह से हुआ है। और आज वही किसान आंदोलन करने के लिए बाध्य हैं क्योंकि अनाज की कोई कीमत नहीं मिल्र पा रहा है। बिहार में 700-800 रुपये क्विंटल मैं धान बिक रहा है, हमारे पड़ोसी राज्यों में भी हजार-ग्यारह सौ क्विंटल मैं बिक रहा है। और ऐसे स्थिति में समर्थन मूल्य आप साढ़े 1800 रुपये प्रति क्विंटल किया है तो फिर अन्नदाता 800 रुपये में कैसे बेच रहा है। आप आज जो कानून बना रहे हैं वो कानून 2006 से बिहार में पहले से लागू है। आपने वहां एपीएमसी कानून को समाप्त कर दिया मंडी को समाप्त कर दिया और सबसे बुरी हालत कहीं किसानों की है तो वह बिहार में है। यही हालत पूरे देश मैं होने वाला है। आज भारत सरकार कहती है कि समर्थन मूल्य का लाभ केवल 6 प्रतिशत किसानों को ही मिलता है, हम दावा करते हैं कि छत्तीसगढ़ मैं 94 प्रतिशत किसानों को धान का समर्थन मूल्य मित्र रहा है, गन्ने का समर्थन मूल्य मित्र रहा है, मक्के का दि समर्थन मूल्य मिल रहा है। और यहां हमने खरीदी की व्यवस्था की है। भारतीय जनता पार्टी के शासन काल में यदि 15 साल का एवरेज निकालें तो 50 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा खरीदी नहीं हुई। 1 जबकि हमारे शासनकाल ैं पहले साल 80 लाख मीट्रिक टन, दूसरे साल 83 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा और इस साल खरीदी 85 से 90 लाख मीट्रिक टन पहुंचने की संभावना है बल्कि उससे भी ज्यादा हो सकता है। क्योंकि हमने इसकी व्यवस्था ऐसी की है। जो 2048 खरीदी केन्द्र थे उसे सोसायटी में कन्वर्ट किया है। इस साल 257 और खरीदी केन्द्र बढ़ाया है तो कुल मिलाकर 2300 से अधिक धान खरीदी केन्द्र है। बहुत नजदीक मैं खरीदी की व्यवस्था की गई है। पेमेंट की भी व्यवस्था की जा रही है। बारदाना का बहुत संकट था उसके बाद हमने व्यवस्था किया है। बारदाने की कमी नहीं आने देंगे, भुगतान की भी व्यवस्था की जा रही है। जब छत्तीसगढ़ मैं जो व्यवस्था की जा सकती है तो वो व्यवस्था देश में क्यों नहीं की जा सकती। समर्थन मूल्य मे जब यहां खरीदा जा सकता है तो देश में क्?यों नहीं खरीदा जा सकता है। यही अन्नदाता हैं जिसने देश की अर्थव्यवस्था को संभाला है। पूरे देश में जहां दूसरे क्षेत्र में डिग्रोथ था वहीं एग्रीकल्चर सेक्टर मैं 3.4 प्रतिशत का ग्रोथ रहा है। और यही एग्रीकल्चर सेक्टर है जहां हमने किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना का पैसा दिये, लघु वन उपज का खरीदी किये, तो पूरे देश में जहां मंदी का असर है, छत्तीसगढ़ मैं कोई मंदी का असर नहीं है बल्कि सितंबर माह में देखें तो 24 प्रतिशत जीएसटी का कलेक्शन किया, अक्टूबर महीने में 26 प्रतिशत हमने कलेक्शन किया। जो कि देश में सर्वाधिक है। तो हमारी जो अर्थव्यवस्था है छत्तीसगढ़ की वही पूरे देश में क्यों नहीं लागू किया जा सकता। और इससे किसानों का भला होगा अर्थव्यवस्था का भला होने वाला है देश का भला होने वाला है। ऐसे समय में किसानों को दबाने उसे कुचलने के बाद और बात करके समय काटने का काम नहीं करना चाहिए। किसान तो सीधा एक लाइन में हां या ना में बात ये तीन काले कानून आप खत्म कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं। यह बात कर रहे हैं इसलिए किसान दिल्ली घेर कर बैठे हैं लेकिन भाजपा की केन्द्र मैं बैठी सरकार पूंजीपतियों की सरकार है। किसान की हितैषी सरकार होती तो
भारत बंद के बीच छत्तीसढ़ मुख्यमंत्री की प्रेसवार्ता : सीएम बघेल ने तीनों केन्द्रीय कृषि कानून को काला कानून बताया
