प्रकाश नाग/केशकाल/विश्रामपुरी : केशकाल वनमण्डल अंतर्गत मांझिनगढ़ में 5 दिसंबर को संयुक्त वन प्रबंधन समिति कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में वनमंडल में आने वाले 207 संयुक्त वन प्रबंधन समिति से अध्यक्ष एवं सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रकृति पूजा, साजा, पीपल, हर्रा, बहेड़ा, आंवला पौधों से किया गया। कार्यक्रम के पहले चरण में वरुण जैन उपवनमंडलाधिकारी फरसगांव ने विस्तृत रूप से संयुक्त वन प्रबंधन समिति वार्षिक कार्याआयोजना में प्रकाश डालते हुए बहुत ही सरल भाषा में इसके अधिकार और नियमों को लोगों तक पहुंचाया, और लोगों से वन अधिकार कानून 2006 से जोड़ी भ्रांति और भ्रम दूर किया ताकि गांव – गांव में सीमा विवाद ना हो। सभा के दूसरे चरण में बस्तर संस्कृति और वन संरक्षण के बारे में शिव सलाम ठेमली संयुक्त वन प्रबंधन समिति द्वारा विस्तार से अपना पक्ष रखा। तत्पश्चात वन प्रबंधन समिति के अधिकार और उनसे जुड़े कर्तव्य एवं कार्य योजना कैसे बनाये जाएं इस संबंध में उपवनमण्डलाधिकारी फरसगांव द्वारा अवगत कराया गया। सरपंच नलुराम ने जंगलों से प्राप्त होने वाले लघु वनोपज से ग्रामीणो के आय में वृद्धि से अवगत कराया गया।
इस दौरान उपवनमंडलाधिकारी फरसगांव ने सामुदायिक वन संसाधन के बारे में जानकारी देते हुए सीमा विवाद पर कैसे निपटारा किया जाए इस संबंध में विस्तृत जानकारी दी गयी। साथ ही कृष्ण दत्त उपाध्याय समाजसेवी केशकाल द्वारा वनों का संरक्षण , संवर्धन , ग्रामीणों जनता का आर्थिक स्थिति में वृद्धि करने संबंधी , ग्रामीणों को वन विभाग से आपेक्षाएं उनका क्रियान्वयन संबंधी विस्तृत चर्चा किया गया।
वनमण्डलाधिकारी धम्मशील गणवीर द्वारा मांझिनगढ़ को प्राकृतिक पर्यटन से जोड़कर वहां के विलुप्त हो रही संस्कृति को बचाते हुए ग्रामीणों को रोजगार और जीवन स्तर पर वृद्धि एवं आर्थिक लाभ कैसे दिलाया जाए इस संबंध में समिति सदस्यों को विस्तार से चर्चा की गई। तीसरे चरण में ग्रामीणों की समस्या पर चर्चा की गई और उन्हें वनमंडलाधिकारी द्वारा आश्वासन दिया गया कि उनकी समस्याओं का समाधान जल्द किया जाएगा। अंत में वन एवं वन्यप्राणियों के सुरक्षा के लिए मांझिनगढ़ मे उपस्थित सभी ग्रामीणों एवं वन अधिकारी कर्मचारियों द्वारा मांझिनगढ़ संकल्प का वाचन कर कार्यशाला का समापन किया गया।