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निगम आयुक्त के दादाजी बृजनाथ पांडेय के निधन पर महापौर समेत नगर निगम परिवार ने दी शोक श्रद्धांजलि

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  • गंगा मैय्या की गोद में मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार की इच्छा को पूर्ण किया परिजनों ने
आशीष जायसवाल/ रायगढ़ : नगर निगम के आयुक्त आशुतोष पांडे जिनके दादाजी बृजनाथ पांडे विगत कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे उनका बनारस के निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था और आज प्रातः उनका देहांत हो गया।नगर निगम की महापौर जानकी काट्जू,सभापति जयंत ठेठवार एवम निगम परिवार ने उनके निधन पर गहरा शोक ब्यक्त किया।  जानकारी अनुसार 92 वर्ष के बृजनाथ पांडे सेवानिवृत्त प्राचार्य बेहद अनुशासित शास्त्रों के ज्ञाता ईमानदार और कर्तव्य निष्ठ थे बताया जाता है इस उम्र में भी उनका दिनचर्या प्रातः दंडबैठक और सूर्य नमस्कार से होता था,महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानने वाले बृजनाथ जी 75 सालों तक डायरी लिखने का काम नही छोड़ा,वक्त के तो इतने पाबंद थे कि पड़ोसी उनके टाइम टेबल देखकर अपना घड़ी मिलाते थे।मतदान के दिन पूरे इलाके में सर्वप्रथम मतदान वही करते थे।ईनका निवास स्थान कैमूर बिहार है,किन्तु शिव के परम उपासक होने के कारण शिव की नगरी काशी और बनारस गंगा मैया की गोद मे मणिकर्णिका घाट पर अपने अंतिम संस्कार के लिये इच्छा जताई थी
परिजनों ने उनके इच्छा अनुसार अंतिम समय में उन्हें बनारस लाया, उच्च चिकित्सा हेतु निजी अस्पताल अपेक्स में इलाज भी करा रहे थे, जिनका आज प्रातः दुःखद निधन हो गया और वे ब्रम्हलीन हो गए। बताया जाता है कि बनारस में लगभग 88 घाट है इनमें से अधिकांश घाटों का उपयोग स्नान और पूजा समारोह के लिए किया जाता है जबकि 2 घाट में अंतिम संस्कार किया जाता है उनमें से एक घाट मणिकर्णिका घाट जिसकी विशेषता यह है कि यहां चिता कभी शांत नहीं होती हर समय किसी ने किसी का शवदाह होता रहता है मान्यता यह है कि मोक्ष प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ द्वार है ये ,और इस शहर में इस घाट पर मोक्ष प्राप्ति हेतु अंतिम संस्कार की अंतिम इच्छा स्व. बृजनाथ पांडेय ने रखी थी।उनके निधन से उनके परिवार के साथ पूरा अंचल स्तब्ध है । निगम के कमिश्नर आशुतोष पांडे ने बताया कि उनका बचपन उनके दादा जी के सानिध्य में बिता और उनके सफलता के आधार स्तंभ उनके दादा जी ही है। वे कहते हैं कि ये मेरे दादा के सगे भाई है,जिनकी मृत्यु तब हो गई जब हमारे परिवार में कोई अपने पैरों पर खड़ा नहीं हुआ था,अगर इन्हें महाभारत के भीष्म पितामह कहा जाए तो अतिसंयोक्ति नही होगी ये ऐसे विरले इंसान थे जिन्होंने हमारी जरूरतों को पूरा करने के लिये,हमारे परिवार का साथ देने के लिये सशक्त करने के लिये आजीवन अविवाहित रहे,मुझमे आज जो भी काबिलियत है वो केवल इनकी देन है,दादाजी पथ प्रदर्शक के रूप में आशीर्वाद देते हुए हर पल मेरे साथ हैं।  नगर निगम की महापौर जानकी काट्जू, सभापति जयंत ठेठवार समेत  एमआईसी सदस्य पार्षद गण एवं नगर निगम परिवार ने नम नेत्रों से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
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