किरीट ठक्कर/गरियाबंद : कुछ अदनों को मिली छोटी मोटी कामयाबी रास नहीं आती , ऐसे लोगों को मिली सफलता सर चढ़ कर बोलती है , और सर चढ़ी सफलता नुकसान दायक सिध्द होती है। कहावत भी है बंदर के हाथ में उस्तरा बेहद खतरनाक होता है खुद के लिए भी और दूसरों के लिए भी। मुद्दे की बात ये है कि पिछले कुछ समय से जिले में पदस्थ एक नायाब तहसीलदार से जनता त्रस्त हो चुकी है। प्रतित होता है कि प्रशासनिक अधिकार के दम पर जनता को परेशान करना इनका शग़ल हो चुका है । इन्हें लगता है कि इनसे पहले जिले की जनता ने ना किसी अधिकारी को देखा है और ना सुना समझा है। संभवतः गरियाबंद में पदस्थ रहते भी इनकी शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों से की गई थी , लिहाजा इन्हें गरियाबंद से तहसील कार्यालय छुरा पदस्थ किया गया। अब छुरा की जनता त्रस्त है। पहले छुरा विकाशखण्ड के सरपंच संघ ने इनकी लिखित शिकायत मंत्री पंचायत एवं ग्रामीण विकास छत्तीसगढ़ शासन टीएस सिंहदेव से की, और गुज़ारिश की गई इन्हें छुरा ब्लॉक से अन्यत्र हटाया जाये। इसके बाद ब्लॉक कांग्रेस कमेटी ने भी मंत्री जयसिंह अग्रवाल से लिखित आवेदन देकर नायाब तहसीलदार कुसुम प्रधान को छुरा तहसील से अन्यत्र स्थानांतरित किये जाने की मांग की है। मंत्री जयसिंह अग्रवाल को ब्लॉक कांग्रेस कमेटी छुरा की ओर से प्रेषित पत्र में लेख है कि छुरा में पदस्थ नायाब तहसीलदार कुसुम प्रधान से आम जनता बहुत ही परेशान हैं , आये दिन किसी ना किसी बहाने ये चालान काटने सड़कों पर उतर आती है , जबकि तहसील संबंधित कार्य में इनके द्वारा टालमटोल व आना कानी की जाती है। जनता की समस्याओं का समाधान ना करते हुए इनके द्वारा मनमानी की जाती है। अब देखना ये है कि सरपंच संघ छुरा तथा ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के पत्रों पर क्या कब और कैसी कार्यवाही होती है। वैसे सोचने वाली बात ये है कि , क्या कार्यस्थल में बदलाव से किसी की मानसिकता बदल सकती है ?
आम लोगों को परेशान करना फ़ितूर : जनता त्रस्त , आखिर की गई शिकायत
