- एम्स में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के पांच वर्ष पूर्ण, सीएमई में ब्रेस्ट कैंसर की रोकथाम पर चर्चा
रायपुर : महिलाओं में बढ़ते स्तन कैंसर को लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, रायपुर के सर्जरी विभाग के तत्वावधान में ब्रेस्ट कैंसर पर सीएमई का आयोजन किया गया। इसमें जीवनशैली में परिवर्तन को ब्रेस्ट कैंसर की वजह बताते हुए इसकी रोकथाम के लिए स्वयं परीक्षण करने और प्रारंभिक अवस्था में ही इसका टेस्ट कराकर उपचार करने की सलाह दी गई। सर्जरी विभाग में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के पांच वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में आयोजित सीएमई का उद्घाटन करते हुए निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने एम्स में ब्रेस्ट कैंसर के लिए उपलब्ध सुविधाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि एम्स निरंतर महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर के लिए जागरूक बनाने का प्रयास कर रहा है। प्रत्येक बुधवार को आयोजित होने वाला स्पेशल ब्रेस्ट कैंसर क्लीनिक इसी दिशा में उठाया गया कदम है। प्रयास किया जा रहा है कि महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का जल्द से जल्द पताकर उन्हें तुरंत उपचार प्रदान किया जाए। सीएमई में पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अमित चौहान ने बढ़ती उम्र में एस्ट्रोजन के उच्च स्तर, एनिमल फेट, अधिक उम्र में गर्भ धारण और प्रसव, पारिवारिक और आनुवांशिक कारण और मद्यपान और ध्रूमपान को ब्रेस्ट कैंसर का प्रमुख कारण बताया। इसके अतिरिक्त अनियमित पीरियड्स, हार्मोन रिप्लेसमेंट थैरेपी और रेडिएशन की वजह से भी कैंसर संभव है। उन्होंने ब्रेस्ट कैंसर के विभिन्न कारणों पर विस्तार से प्रकाश डाला। न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के प्रो. करन पीपरे ने पैट स्कैन की मदद से ब्रेस्ट कैंसर का शुरूआत में ही पता लगाने के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उनका कहना था कि पैट स्कैन से कैंसर प्रारंभ होने, इसका सही स्थान पता करने और सही थैरेपी तय करने में काफी मदद मिलती है। यदि समय पर ब्रेस्ट कैंसर को चिन्हित कर लिया जाए तो इसके ठीक होने की संभावना काफी अधिक हो जाती है। डॉ. देबज्योति मोहंती ने ब्रेस्ट कैंसर की चिकित्सा पद्धति के प्रोटोकॉल के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों के समन्वय से ब्रेस्ट हटाने के बाद प्लास्टिक सर्जरी करके इसे सही रूप प्रदान किया जा सकता है। ब्रेस्ट कैंसर क्लीनिक के इंचार्ज डॉ. राधाकृष्ण रामचंदानी ने कहा कि स्वयं परीक्षण करके भी महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के बारे में पता लगा सकती हैं। वर्तमान में प्रत्येक आठ महिलाओं में से एक को ब्रेस्ट कैंसर की समस्या है। इस अवसर पर विभाग की पहली लेप्रोस्कोपी की मरीज इला भट्ट ने अपने अनुभव को साझा करते हुए महिलाओं से बिना झिझक ब्रेस्ट कैंसर का इलाज कराने का आह्वान किया। कार्यक्रम में प्रो. आलोक चंद्र अग्रवाल, डॉ. यशवंत कश्यप, डॉ. मुदालशा रविना सहित बड़ी संख्या में चिकित्सक उपस्थित थे।