बागबाहरा : केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि विधेयक को किसान विरोधी करार देते हुए कांग्रेसियों ने इसे रद करने की मांग को लेकर गुरुवार को एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान महामहिम राष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष, केंद्रीय श्रम मंत्री भारत सरकार, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन के नाम अनुविभागीय अधिकारी बागबाहरा को ज्ञापन सौंपा गया। और सोहन देवांगन जिलाध्यक्ष भारतीय राष्ट्रीय किसान मजदूर कांग्रेस छत्तीसगढ़ महासमुंद ने बताया कि भारतीय राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस केन्द्र सरकार के लोकसभा में पास किए काला कानून किसान बिल एवं श्रम कानून, ट्रेड यूनियन कानून जो श्रमिक किसान एवं मजदूर यूनियन के अहित में है उसका विरोध, धरना प्रदर्शन कर इन काला कानून को वापस लेने की मांग की जाएगी लोकसभा में किसान एवं श्रम कानून संबंधी तीन विधेयक पास किया गया है, ये तीनों बिल प्रवासी एवं असंगठित श्रेत्र में काम करने वाले मजदूरों की परिभाषा को बदल सकते हैं, जिसका हम श्रमिक नेता विरोध करते है। लोकसभा में विपक्ष के नेताओं के विरोध बावजूद सरकार ने देश में श्रम कानून से जुड़े तीन महत्वपूर्ण बिल पास कराये। भारत में कर्मचारियों एवं मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए कानून पंडित जवाहर लाल नेहरु, श्रीमती इंदिरा गांधी के द्वारा बनाया गया, डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर के बनाये गए संविधान में किसानों एवं मजदूरों की हितरक्षा का प्रावधान किया गया है। जिसे मोदी सरकार ध्वस्त करने में लगी है। मोदी सरकार द्वारा लगाये गए चार श्रमिक कोड पूरी तरह से मजदूर विरोधी, कर्मचारी विरोधी है, और इन्हें संसद में बिना किसी प्रजातांत्रिक प्रक्रिया के पास किया गया। व्यवसाय करने की सुविधा के नाम पर केन्द्र सरकार कारपोरेट धरानों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए देश की संपदा को लूटने और मजदूर किसानों के शोषण का मार्ग प्रशस्त कर रही है जो पूरी तरीके से देश के लोगों की इच्छाओं और आकांक्षाओं के खिलाफ है और सर्वहारा वर्ग के हितों के खिलाफ है। देश मे आजादी से पहले की कानूनों को बदला जा रहा है और इन श्रम कानूनों को बदलकर श्रम संहिताओं में लाया जा रहा है जिसमें देश में मजदूरो की स्थिति और ज्यादा दयनीय हो जायेगी। उद्योगों में काम के 8 घण्टे के अधिकार को 12 घण्टे में बदल दिया असंगठित क्षेत्र के लोगों के लिए काम करने वालों के लिए यह मजदूर विरोधी है। प्राइवेट फंट ईएसआई और मजदूरो से कल्याण से जुड़े कानूनों को बदल दिया गया है। अब रोजगार के स्थायी प्रारुप की बदल कर समिति समय के लिए काम दिया जायेगा, जिसे नौजवानों का भविष्य बरबाद होन वाला है केन्द्र की भाजपा सरकार ने मजदूरों के विरोध करने के अधिकार को भी खत्म कर दिया है और यूनियन बनाने और हड़ताल भी अधिकार पर भी भारी भरकम जो मजदूरो को बन्धुआ मजदूरी के तरफ धकेलने का ही काम करता है। इन विधेयकों के जरिये सरकार का इरादा श्रेम सुरक्षा को खत्म करना है 44 श्रम कानून के बदले 4 लेबर कोडों की प्रक्रिया और सार्वजनिक क्षेत्र के नीजि कारण पर रोक लगाई जाए। 50 वर्ष के जुर्माना लगाने और जेल भेजने तक के प्रवधान कर दिए है आयु अथवा 30 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करने वाले नियमिती सरकारी कर्मचारियों की छटनी व जबरन रिटायरमेंट पर रोक लगाई जाए। उसी तरह रेल बीएसएनएल कोयला सहित 26 कम्पनियों को निजी करण किया जा रहा है। जिसके विरोध में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन बागबाहरा में किया जा रहा है।
मुख्य रूप से जिलाध्यक्ष इंटक मजदूर कांग्रेस सोहन देवांगन, जिलाउपाध्यक्ष युवा कांग्रेस ताराचंद सोनवानी, शहर अध्यक्ष युवा कांग्रेस अभिषेक ढिढी, विधानसभा अध्यक्ष उत्तम राणा,विधानसभा महामंत्री शुभम बाघ,हृ.स्..ढ्ढ पूर्व अध्यक्ष चुम्नन सोनवानी, हृ.स्..ढ्ढ पूर्व उपाध्यक्ष मेघ राज साहू ,सुनील यादव,मिथलेश यादव,शुभम चक्रधरी, हरिकिशन वश्त्रकार, अनिल राजपूत,रोहित तिवारी,रमेश कुमार यादव, गेंदलाल यादव,डिगेश माझी,तुसार चौहान, डेविड चन्द्राकर, राहुल महानन्द,समस्त युवा साथी गढ़ उपस्थित थे।
कृषि विधेयक : कांग्रेसियों ने इसे रद करने की मांग को लेकर किया एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन, सौंपा ज्ञापन
