पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ रहे सीपीआई के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने बीजेपी पर बड़ा हमला बोला है. दिपांकर ने सीधे तौर पर कहा है कि यदि बिहार में बीजेपी की सरकार आई तो लोकतंत्र की हत्या हो जाएगी और यहां भी उत्तर प्रदेश जैसे हालात पैदा हो जाएंगे. महासचिव ने कहा बीजेपी को हराने के लिए राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की राजद से गठबंधन समय की मांग है. रजेडी की मुखर विरोधी रही सीपीआई (एमएल) अब मिलकर चुनाव लड़ रही है. क्या चुनाव में लगातार खराब प्रदर्शन के चलते आपकी पार्टी ने विचारधारा से समझौता कर लिया? सीपीआई (एमएल) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा की नीति देश से लोकतंत्र खत्म करने की है. भाजपा की पूरी टोली देश को बर्बादी की ओर ले जा रही है. लोकजनशक्ति पार्टी द्वारा भाजपा सरकार बनाने के दावे पर महासचिव ने कहा कि भाजपा की जीत से बिहार का रूप भी उत्तर प्रदेश जैसा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि बिहार में मुख्य एजेंडा एनडीए को ध्वस्त करना है और यह केवल सिर्फ राज्य नहीं बल्कि देश के नजरिए से भी उचित है. ऐसे में पार्टी हित को किनारे रखकर राजद से महागठबंधन जरूरी हो गया था. सवाल- राजद के साथ गठबंधन करने से पहले आपके दिमाग में क्या आया था? उन्होंने कहा इन जाति-आधारित पार्टी को लेकर कई बातें दिमाग में आई थीं. सीपीआई, सीपीआई (एम) कई राज्यों की राजनीति में काफी सक्रिय थीं, लेकिन सीपीआई जैसे दलों में कमी आई है तो इसका कारण समाजवादी या उस जैसी पार्टी नहीं है. यहां कई अन्य कारक भी हो सकते हैं. हम सीपीआई (एमएल) में काफी स्पष्ट हैं और हम कोई वैचारिक समझौता नहीं कर रहे हैं और न ही हम किसी के स्टेप्नी बन रहे हैं. वास्तव में यदि गठबंधन के 25 प्वाइंट चार्टर पर नजर घुमाएं तो आपको उसमें वामपंथ का प्रभाव दिखाई देगा. हमने हमेशा से कृषि ऋण माफी, सुरक्षित रोजगार और समान काम के लिए समान वेतन जैसे मुद्दों पर खुलकर बात की है.
सवाल- बहुत से लोगों का मानना है कि राजद ने आपको अपने कोटे से जो 19 सीटें दी हैं, वह आश्चर्यजनक रूप से बड़ी संख्या है?
इस पर भट्टाचार्य ने कहा कि यहां एक बात स्पष्ट रूप से समझने की जरूरत है. हमें कुछ भी आवंटित नहीं किया गया है. हमने अपनी मांग के अनरूप एक साझेदारी की है. हमने 30 सीटों की मांग रखी थी लेकिन हमें कुछ सीटों पर ही समझौता करना पड़ा. यह सच है कि स्वतंत्र रूप से हमने सीमित चुनावी सफलता मिली है लेकिन हमारे पास मजबूत उम्मीदवार और जनाधार है जो चुनावी समीकरण को बदलने की ताकत रखते हैं.
सवाल- पिछले पांच वर्षों में यह तीसरा महागठबंधन है, जिसे बिहार के लोगों ने देखा है. यह अन्य गठबंधनों से कैसे अलग है?
इस पर माले के महासचिव ने कहा कि इस बार महागठबंधन का एजेंडा लोकतंत्र को बचाने के लिए है. हम एनडीए के खिलाफ लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं. राजद और सीपीआई (एमएल) दो महत्वपूर्ण कैडर-आधारित दल हैं. यह महागठबंधन कॉम्पैक्ट और विश्वसनीय है. पिछले महागठबंधन में नीतीश कुमार जैसे लोग थे, लेकिन जैसा कि हम जानते हैं कि वे अवसरवादी और अविश्वसनीय साबित हुए, लेकिन इस बार महागठबंधन में ऐसा कोई साझेदार नहीं है जो मिनटों में पाला बदल ले. यहीं पर यह महागठबंधन एक गेम चेंजर साबित होगा.
आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों के महागठबंधन को जमीन पर कामयाब बनाने की रणनीति को लेकर पूछे जाने पर दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि यह थोपा हुआ नहीं बल्कि लोगों की अपेक्षा के मुताबिक बना हुआ गठबंधन है. डिजिटल युग में लोगों तक उम्मीदवार और चुनाव चिन्ह पहुंचाना कोई मुश्किल काम नहीं है. उन्होंने कहा कि गठबंधन की पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच लोकसभा चुनाव में भी तालमेल रहा है. हालांकि मांझी, कुशवाहा और सहनी जैसे नेताओं के अलग होने पर दीपांकर भट्टाचार्य ने माना कि सभी पार्टियां रहती तो बेहतर था.