- इन आवारा कुत्तों के चलते शहर के मोहल्ले में कभी भी बच्चों के ऊपर कर सकते हैं बड़ा हमला हो सकती है बड़ी दुर्घटना..!
अक्कू रिजवी / कांकेर : आवारा कुत्तों के प्रकोप से वैसे तो छत्तीसगढ़ का शायद ही कोई शहर बचा हो लेकिन कांकेर में इनका उपद्रव कुछ ज्यादा ही दिख रहा है। यही नहीं कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण नगर वासियों को दोहरी मुसीबत झेलनी पड़ रही है। इन दिनों नगर पालिका क्षेत्र कांकेर में कुत्तों की संख्या इतनी अधिक बढ़ चुकी है कि जो पहले दो-चार के गुट में घूमते थे अब 15 / 20 के बड़े-बड़े दलों में घूमते नज़र आते हैं और पहले जो हकालने पर भाग जाते थे अब वे पलटकर अपने दल सहित किसी पर भी हमला बोल देते हैं और कुत्तों की जगह इंसानों को भागना पड़ जाता है। पिछले दिनों अलबेलापारा , माहुरबंदपारा , सुभाषवार्ड , अन्नपूर्णा पारा , शीतलापारा आदि मोहल्लों में आवारा कुत्तों ने अनेक लोगों को काटा भी है , जिन्हें कांकेर में इलाज की सुविधा ना होने के कारण धमतरी जाना पड़ गया है। एक खिलाड़ी महोदय को तो इन आवारा कुत्तों ने पुराने बस स्टैंड से नए बस स्टैंड तक एक किलोमीटर दौड़ने पर मजबूर किया, तब कहीं जाकर आवारा कुत्तों से उनका पीछा छूटा। यदि वे धावक नहीं होते तो निश्चित रूप से 14 बड़े साइज वाले इंजेक्शन खाने के पात्र हो जाते । आवारा कुत्तों की इस बढ़ती संख्या तथा आक्रामक तेवरों पर ना तो नगरपालिका और न प्रशासन कोई कुछ ध्यान देने को तैयार नहीं हैं। जिसके कारण कांकेर के नागरिक अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्हें कोरोनावायरस के अलावा कुत्तों से भी डर लगने लगा है। इसी कारण गत रविवार को बाजार में भी सन्नाटा छा गया था और अनेक लोगों ने सब्जी लाने की अपेक्षा आवारा कुत्तों से अपनी सुरक्षा पर अधिक ध्यान दिया। जिसके कारण इतवार जैसे दिन भी कांकेर शहर में वीरानी छाई रही। आवारा कुत्तों के प्रकोप से शहर के बच्चों महिलाओं एवं वृद्धों को बहुत अधिक खतरा है लेकिन नगर पालिका तथा प्रशासन जिनकों कुत्तों की बढ़ती संख्या पर कंट्रोल करने में भला क्या दिलचस्पी हो सकती है…..?