रायपुर : छत्तीसगढ़ के आरटीआई एक्टिविस्ट संजीव अग्रवाल ने भारत में बलात्कार और महिलाओं पर अत्याचार की घटनाओं पर रोष व्यक्त करते हुए कहां है कि ऐसी घटनाएँ मानवता के ख़िलाफ़ है और मुझे शर्म आती है कि हम ऐसे समाज का हिस्सा हैं। एक तरफ़ सरकार कहती है कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ। लेकिन आज तो यह स्थिति बन चुकी है कि बेटी को पढ़ाएं या बेटी को बचाएं और बताएं तो कैसे बचाएं? क्या बेटियों को पढ़ाना छोड़ कर उन्हें बचपन से ही लड़ाका बनाना होगा तकि वे आत्मरक्षा कर सकें? यह समाज को सोचना होगा। संजीव अग्रवाल ने कुछ आंकड़ों के अनुसार बताया है कि, आंकड़ों के अनुसार 2017 में बलात्कार के 32,559 मामले दर्ज किए गए थे जबकि 2016 में यह संख्या 38,947 थी। एनसीआरबी के अनुसार 2017 (50,07,044 मामलों) की तुलना में अपराध की कुल संख्या में 1.3 प्रतिशत का इजाफ़ा हुआ, प्रति लाख की आबादी पर अपराध दर में हालांकि 2017 (388.6) की तुलना में 2018 में (383.5) कमी आई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक 2018 में देश में हर चौथी दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग थीं, जबकि 50 फीसदी से ज्यादा पीड़िताओं की उम्र 18 से 30 साल के बीच थी। आंकड़ों के मुताबिक लगभग 94 प्रतिशत मामलों में आरोपी पीड़ितों के परिचित – परिवार के सदस्य, दोस्त, सह जीवन साथी, कर्मचारी या अन्य थे। आंकड़ों में कहा गया कि 2018 में दुष्कर्म के 33,356 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 33,977 पीड़िताएं थीं और औसतन 89 दुष्कर्म रोज़ाना। 2017 में दुष्कर्म के 32,559 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2016 के लिए यह आंकड़ा 38,947 था। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक कुल मिलाकर, 72.2 प्रतिशत दुष्कर्म पीड़िताएं 18 साल से ज्यादा उम्र की थीं, जबकि 27.8 प्रतिशत की उम्र 18 साल से कम थी। एनसीआरबी के मुताबिक, 2018 में 51.9 फीसदी दुष्कर्म पीड़िताएं (17,636) 18 से 30 आयुवर्ग की थीं, 18 प्रतिशत (6,108) की उम्र 30 से ज्यादा और 45 वर्ष से कम थी, 2.1 फीसदी (727) की उम्र 45 से ज्यादा और 60 वर्ष से कम थी जबकि 0.2 प्रतिशत (73) की उम्र 60 साल से ज्यादा थीं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 14.1 प्रतिशत दुष्कर्म पीड़िताएं (4,779) 16 से 18 आयुवर्ग के बीच की थीं। इसके बाद 10.6 प्रतिशत (3,616) 12 से 16 आयुवर्ग की थीं। 6 से 12 साल के बीच की रेप पीड़ित महिलाएं 2.2 प्रतिशत (757) की उम्र थी, जबकि 0.8 प्रतिशत (281) की उम्र छह साल से कम थी।
संजीव अग्रवाल ने राज्यवार आंकड़ों के अनुसार बताया कि, 2019 में,
- 1. मध्य प्रदेश: सबसे ज्यादा 5,433 मामले दर्ज हुए
- 2. राजस्थान: 4,335
- 3. उत्तर प्रदेश: 3,946
- 4. महाराष्ट्र: 2,142
- 5. छत्तीसगढ़ : 2,091
- 6. केरल: 1,945
- 7. असम: 1,648
- 8. दिल्ली: 1,215
- 9. हरियाणा:1,296
- 10. झारखंड : 1,090
- 11. पश्चिम बंगाल: 1,069
लेकिन मौजूदा आंकड़ों के हिसाब से देश में सबसे बड़ा महिलाओं के ऊपर अत्याचार का केंद्र आज उत्तर प्रदेश बन गया है इसीलिए एनसीआरबी के मुताबिक उत्तर प्रदेश महिलाओं के लिए आज देश में सबसे असुरक्षित प्रदेश हैं जहां 30590 मामले दर्ज हैं, साथ ही छत्तीसगढ़ में भी 1 जनवरी 2019 से लेकर 31 जनवरी 2020 तक 2575 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें सर्वाधिक मामले रायपुर के हैं। देश में अभी तक 35 लाख से अधिक महिलाओं के शोषण के मामले दर्ज हैं जिसमें अकेले साढ़े तीन लाख से अधिक मामले उत्तर प्रदेश के हैं।
संजीव अग्रवाल ने बताया कि एनसीआरबी के आंकड़े यह भी बता रहे हैं कि –
- – रेप के 100 मामलों में से 94 मामलों में आरोपी पीड़िता के परिचित होते हैं।
- – दुष्कर्म के कुल 33,356 मामलों में से 15,972 मामलों में इन्हें अंजाम देने वाला या तो पारिवारिक मित्र या पड़ोसी, कर्मचारी या अन्य जानकार व्यक्ति था।
- – 12,568 मामलों में इन वारदात को अंजाम देने वाले दोस्त, ऑनलाइन दोस्त या लिव-इन पार्टनर या अलग हो चुका पति होता है।
- – आंकड़ों के मुताबिक 2780 मामलों में पीड़िता से दुष्कर्म को अंजाम देने वाला उसके ही अपने परिवार का सदस्य था।
- – सिर्फ 2036 मामलों में ही इन घटनाओं को अंजाम देने वाला अनजान था।
अंत में संजीव अग्रवाल ने कहा कि यह आंकड़े वह है जो कि पंजीकृत होते हैं। लेकिन देश में ऐसे बहुत से लोग हैं जो कि कानून तक पहुंच ही नहीं पाते हैं या जो पहुंच भी पाते हैं उन्हें सत्ता के मद में चूर लोग दबा देते हैं और उनका शोषण करते हैं। इसीलिए मैं हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करता हूं के जैसा वादा उन्होंने देश में रामराज्य का किया था उसी के मध्य नजर उन्हें तत्काल प्रभाव से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश के चीफ सेक्रेट्री, उत्तर प्रदेश के होम सेक्रेट्री, उत्तर प्रदेश के डीजीपी और साथ ही साथ हाथरस के एसपी और संबंधित थाना के पुलिस इंस्पेक्टर को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करते हुए उन पर गैर इरादतन हत्या का और साथ ही लापरवाही का केस लगाते हुए 302 की धारा को शामिल करते हुए केस रजिस्टर्ड करना चाहिए और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस्तीफ़ा लेते हुए देश में सुशासन का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए और अगर हो सके तो जैसे हाल ही में 48 घंटे में मोदी सरकार ने 15 बिल पास करा लिए, उसी प्रकार महिला सशक्तिकरण को देखते हुए महिलाओं के ख़िलाफ़ अत्याचार, एसिड अटैक, मानसिक व शारीरिक शोषण और बलात्कार जैसी घटनाओं के ख़िलाफ़ एक सख्त से सख्त कानून बनाना चाहिए जिसमें दोषियों को त्वरित रूप से दंड देने का प्रावधान हो।