किरीट ठक्कर / गरियाबंद : पान्डूका वन परिक्षेत्र में जंगल को नष्ट करने का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है ,लगभग दो माह से चल रहे अतिक्रमण के इस खेल में अब तक एक भी अतिक्रमणकारी पर कार्यावाही का न होना अनेकों संदेहों का जन्म देता है ।डांगनबाय , तिलाईदादर जंगल में अतिक्रमण से डीएफओ मंयक अग्रवाल को भी अवगत कराया गया लेकिन आज दिंनाक तक कोई कार्यवाही नही किया जाना पांण्डुका वन परिक्षेत्र के कर्मचारियों और अतिक्रमणकारियों के बीच आत्मीय लगाव को प्रदर्शित करता है । जिसकी वजह से पंण्डरीपानी नर्सरी में पचीस से तीस एकड़ जंगल में कब्जा हो रहा है और वन अमला कुभकंर्णी निंद्रा में लीन है। नियम कानून को ताक मे रखकर छत्तीसगढ़ वन विभाग का अपना नियम कानून चल रहा है। उच्चाधिकारियों ने चापूलूसी करने वाले कर्मचारियों अधिकारियों को जंगल बर्बाद करने की छुट दे दी है। जिसका जीता जागता उदाहरण पान्डूका वन परिक्षेत्र है। दो माह में एक भी अतिक्रमणकारी पर कार्यवाही नहीं होने से डांगनबॉय पंडरीपानी जंगल नष्ट होने के कगार पर है।
सुरक्षा पर कम ,अतरिक्त आय पर ध्यान अधिक
गरियाबंद जिले के पाण्डूका वन परिक्षेत्र में अतिक्रमण पर रोक लगाने में वन अमला पंगु साबित हो रहा है। दो महीने में एक भी वन अतिक्रमण कारी को पकडा नही जाना अकर्मण्यता को प्रदर्शित करता है। गरियाबंद वन मंण्डलाधिकारी मंयक अग्रवाल ईमानदार अफसर के रुप मे चर्चित है जो अच्छी बात है लेकिन पांण्डुका के जंगलों मे हो रहे कब्जे पर मौन रहना समझ से परे है। पूर्व में पाण्डूका के पण्डरीपानी वन भूमि में नगर पंचायत द्वारा शराब दुकान का निर्माण किया जा रहा था , जिसे रोकने के लिए वन संरक्षक रायपुर द्वारा स्थल पर पहुंच कर जप्ती की कार्यावाही का आदेश दिया गया था, वहीं दूसरी ओर पंण्डरीपानी डांगनबाय में पचासों एकड वन भूमि में अतिक्रमण हो रहा है जिसे देखने की वन अधिकारियों को फुरसत ही नहीं है। परिक्षेत्राधिकारी संजित मरकाम के कार्यकाल में डागनबाय , तिलाईदादर, रवेली , पंण्डरीपानी , में अतिक्रमण अवैध कटाई जारी है। कक्ष क्रमांक 101 में अतिक्रमण कर मकान झोपडी के साथ खेत बनाने का काम भी चल रहा है।