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मोदी सरकार को किसान विरोधी बताते हुए शहर कांग्रेस कमेटी ने गांधी प्रतिमा के सामन दिया धरना

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सुनील नार्गव / मुंगेली : जिला शहर कंग्रेस कमेटी द्वारा आयोजित एक दिवसीय धरना प्रदर्शन पुराना बस स्टैण्ड गांधी प्रतिमा के सामने आयोजित किया गया। कांग्रेसियों ने मोदी सरकार के तीन काले कानून को निरस्थ करने केन्द्र सरकार को जमकर कोषा धरना प्रदर्शन में जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष सहित कांग्रेस के पदाधिकारियों सहित दोपहर 1 बजे से 5 बजे तक धरने में बैठे रहें। तत्पश्चात राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर मोदी सरकार के तीन काले कानूनों को निरस्थ करने की मांग की। धरना प्रदर्शन में वक्ताओं ने केन्द्र की मोदी सरकार को किसान विरोधी बताते हुए किसान विरोधी सरकार बताया। धरना प्रर्दशन का संचालन शहर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष रोहित शुक्ला एवं आभार प्रदर्शन वरिष्ठ कांग्रेसी राकेश पात्रे ने किया। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष सेवादल दिलीप बंजारा, अध्यक्ष सरपंच संघ रेख चन्द कोशले, रूपलाल कोसरे, ब्लॉक अध्यक्ष रामकुमार साहू, राजेश छैदैईया, विद्यानंद चन्द्राकर, कौंशल सिंह क्षत्रिय, विनय चोपड़ा, हेमेन्द्र गोस्वामी, अरविंद वैष्णव, आरिफ खोखर, रामचन्द साहू, एजाज खोखर, संजय यादव, देवेन्द्र वैष्णव, रत्नावली कौंशल, पोखराज बंजारे, राहुल रूपवानी, प्रभू मल्लाह, अभिलाष सिंह, शोभा कश्यप, निरंजन साहू, दीपक गुप्ता, परवेज अख्तर, निलेश गुप्ता, राजा माणिक, टीपू खान एवं जिले भर से कांग्रेस कार्यकर्ता धरना पदर्शन में शामिल रहें।
पूर्व विधायक चुरावन मंगेशकर ने कहा कि:- नरेन्द्र मोदी व उनकी सरकार देश को बरगला रहें है। जाति धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले लोंग आज देश के अन्नदाता किसान की बात सुनना तो दूर संसद में उनके सांसदो द्वारा आवाज को दबाया जा रहा है। और सड़को पर किसान मजदूरों को लाठियों से पिटवाया जा रहा है।
पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष आत्मा सिंह क्षत्रिय ने कहा कि:- आनाज मंडी व सब्जी मंडी को खत्म करने से कृषि उपज खनिज व्यवस्था पुरी तरह नष्ट हो जाएगी। ऐसे में किसानों को न तो समर्थम मूल्य मिलेगा और ना ही बाजार भाव के अनुसार फसल कि कीमत मिलेगी। वहीं जिला कांग्रेस अध्यक्ष सागर सिंह बैंस:- ने कहा कि मोदी सरकार की दावा है कि अब किसान अपनी फसल देश में कहीें भी बेंच सकता है। अनाज सब्जी मंडी व्यवस्था खत्म होने के साथ ही प्रांतो की आय भी खत्म हो जाएगी। मंडी व्यवस्था खत्म होते ही आय का स्रोत अपने आप ही खत्म हो जाएगा। मोदी सरकार अपने निजी स्वार्थ के चलते बड़े उद्योगपति व पूंजीपतियों के हाथ में सौंप दिया है। धरना प्रदर्शन कार्यक्रम के पश्चात कांग्रेसियों ने एसडीएम को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर केन्द्र की भाजपा सरकार तीन काले कानूनों के माध्यम से देश की हरित क्रांति को हराने की साजिश कर रही है। देश के अन्नदाता किसान तथा खेत मजदूर की मेहनत को चंद पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रखने का षडय़ंत्र किया जा रहा है। देशभर में 62 करोड़ किसान मजदूर व 250 से अधिक किसान संगठन इन काले कानूनों के लिखाफ आवाज उठा रहें है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व उनकी सरकार सब ऐतराज दरकिनार कर देश को बरगला रहें है। किसानों की बात सुनन तो दुर संसद में उनके नुमाईदो की आवाज को दबाया जा रहा है। और सड़कों पर किसान मजदूरों को लाठियों से पिटवाया जा रहा है। बहुमत के आधार पर बाहुबली मोदी सरकार ने संसद के अंदर तीन काले कानूनों को बगैर किसी चर्चा व राय मशवरे के पारित कर लिया है। राज्यसभा में हर संसदीय प्रणाली व प्रजातंत्र को तार – तार कर ये काले कानून पारित किये गये। कांग्रेस पार्टी सहित कई राजनैतिक दलों ने मतविभाजन की मांग की जो संवैधानिक अधिकार है। 62 करोड़ लोगों की जिंदगी से जुड़े काले कानूनों को संसद परिसर के अंदर सिक्योरिटी गार्ड लगाकर सांसदों के साथ धक्का – मुक्की कर बगैर किसी मतविभाजन के पारित कर कर लिया गया। देश के किसान खेत मजदूर मंडी- सब्जी मंडी को खत्म करने से कृषि उपज खरीदी व्यवस्था पूरी तरह नष्ट हो जाएगी। ऐसे में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा। और न ही बाजार भाव के अनुसार फसल की कीमत इसका उदाहरण भाजपा शासित विहार है। साल 2006 में अनाज मंडियों को खत्म कर दिया गया। अगर पूरे देश की कृषि उपज मंडी व्यवस्था ही खत्म हो गई। इससे तो सबसे बड़ा नुकसान खेत मजदूर को होगा और फायदा मु_ीर पूंजीपतियों को कृषि सेंसस 2015-16 के अनुसार देश का 86 प्रतिशत किसान 5 एकड़ से कम भूमि का मालिक है। जमीन की औसत मल्किायत 2 एकड़ या उससे कम है। ऐसे में 86 प्रतिशत किसान अपनी उपज नजदीक अनाज मंड़ी – सब्जी मंडी के अलाया कहीं और ट्रांसपोर्ट कर न ले जा सकता या बेच सकता है। मंडी प्रणाली नष्ट होते ही सीधा प्रहार स्वाभाविक तौर से किसान पर होगा। मंडियों खत्म होते ही अनाज व सब्जी मंडी में काम करने वाले लाखों मजदूरों आढ़तियों, मुनीम, ढुलाईदारों, ट्रांस्पोर्टरों, शेलर आदि की रोजी रोटी और आजीविका अपने खत्म हो जाएगी। कृषि विषेशज्ञों का कहना है कि अध्यादेश की आड़ में मोदी सरकार असल में शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट लागू करना चाहती है। ताकि एफसीआई के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी ही न करनी पड़े और सालाना 80 से 1 लाख करोड़ की बचत हो इसका सीधा प्रतिकूल प्रभाव खेत खलिहान पर पडेगा।

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