- कीटनाशक दवाई का प्रयोग भी बेअसर
- किसानों को सलाह देने अधिकारी और कर्मचारी भी नही पहुँच रहे गांव
मयंक सुराना/ गंडई पंडरिया : ग्राम रैमड़वा क्षेत्र के किसानों के लिए इस बार धान की फसल को सुरक्षित बचाना चुनौती भरा कार्य हो गया है पहले सूखा फिर बारिश और अब कीट प्रकोप ने किसानों को आर्थिक रुप से कमजोर कर दिया है।फसल अब भूरा माहू कीट की भेंट चढ़ गया है इसके चलते जगमडवा के आश्रीत ग्राम रैमड़वा के किसान परेशान है माहु की बीमारी जहां एक ही रात में खड़ी फसल को पैरा में बदल रही है वही रैमड़वा के किसान सनत साहू मनहरण साहू बुधारू साहू मनोहर साहू रतन साहू नान्हू साहू अशोक साहू आदि किसानों कि अधिकतर खेतो में माहू का प्रकोप हो गया है इन्होंने कीटनाशक दवाई का छिड़काव भी अपने खेतों में कराया है फिर भी माहू का प्रकोप कम नहीं हो रहा है भूरा माहू के कारण फसल चौपट होने की स्थिति में है किसानों को आर्थिक बोझ बढ़ रहा है माहु की समस्या गांव में तेज गति से बढ़ रही है इस ओर अधिकारी को जल्द ही ध्यान देना चाहिए।नही तो धान की क्वालिटी पर बहुत फर्क पड़ेगा इस बीच किसानों की सही कीटनाशक दवाइयों का उपयोग करने की सलाह कृषि विभाग के अधिकारियों को निरीक्षण कर उचित दिशा निर्देश दिया जाना चाहिए।माहू एक छोटे आकार के कीट है जो पौधों का रस चूसते हैं माहू समशीतोष्ण क्षेत्रों में कृषि में उगाई जाने वाली फसलों के लिए सर्वाधिक विनाशकारी शत्रु है।
ऐसे सड़े पैरा को मवेशी भी नही खाते
वही गांव के किसानो ने बताया कि माहू के प्रकोप में आने वाले धान की फसल जो पैरा में तब्दील हो जाते है ऐसे चारा को मवेशी भी उपयोग में नही लाते।
के एल कोठारी कृषि विस्तार अधिकारी का कहना है कि मेरे अधीनस्थ कर्मचारी ए डी ओ आर ई ओ को उस गांव भेजकर निरीक्षण करवाता हु उसके बाद जरूरत पड़ी तो किसानों को सलाह देने के लिए मार्गदर्शन दिया जाएगा।