(सुकमा ब्यूरो) बाल कृष्ण मिश्रा | बिरसठपाल पंचायत में लॉकडाउन के वक्त 1करोड़ रुपए में बने सिंचाई व निस्तारी तलाब में भारी अनियमितता व घपला होने के खिलाफ कार्यवाही करने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।दरअचल कलेक्टर के अनुपस्थित में कलेक्टर के नाम अपर कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर दोषियो को दण्डात्मक करने कार्यवाही करने कि की मांग।यह कि कुछ अखबारों में उपरोक्त तलाब में भारी घपला होने की खबर छपी थी। उस खबर की सत्यता की पड़ताल के लिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का एक टीम मौके पर गया था। उस टीम में साथी मनीष कुंजाम कामरेड गंगाराम नाग, देवाराम मंडावी , कामरेड महेश कुंजाम, कामरेड राजेश नाग तथा इस गांव के कुछ ग्रामीण साथ में थे। उस तालाब को देखने के बाद प्राक्कलन की एक प्रति जल संसाधन विभाग से मांग कर पढ़ें कुछ तकनीकी जानकारों से इस पर राय मशविरा लिया गया। फिर मौके पर जो दिखा और ग्रामीणों ने बनने के दौरान सारे तथ्य बतायें, उसके मुताबिक जो गड़बड़ियां स्पष्ट रूप से दिखा है वह निम्नानुसार को विस्तारित रूप से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सहसचिव गंगा राम नाग ने बताया कि सबसे प्रथम तो यह कि उक्त तालाब मनरेगा मद से निर्मित है। जिसमें अर्थ वर्क में मशीनों का उपयोग पूर्णतः वर्जित है। लेकिन इस काम में दो पोकलेन ,टिप्परो व ट्रैक्टरों से मिटटी कार्य हुआ। इस कार्य में मजदूरों को लगाया ही नहीं गया। तलाब के सामने हिस्से में बोल्डर लगाया गया, वह बोल्डर जो पास में ही थे। उन बोल्डर पत्थरों को मजदूरों से लेवाया गया। इस तालाब निर्माण का एक ठेकेदार भी था ।जो नियम विरुद्ध है। हालांकि रिकॉर्ड में उनके द्वारा कार्य होना नहीं बताया गया। परंतु यही उस तालाब निर्माण की सत्यता है। तालाब की लंबाई मुश्किल से 100 मीटर होगा।प्राक्कलन में 300 मीटर बताया गया और इतनी ही लंबा बनने का पैसा आहरण भी हुआ है। अखबारों में उसका वेस्ट वेयर बह जाने का फोटो है तथा विस्तृत उल्लेख है यह बिल्कुल सही है यही नहीं, जुलूस गेट बना ही नहीं, किंतु उसकी राशि भी निकाल लिया गया। यह की इस तालाब के बंधान में सामने व पीछे कांक्रीट का दीवाल बनना था परंतु मात्र सामने हिस्से में ही बना है। कांक्रीट में लोहे की छड़ का कहीं भी इस्तेमाल नहीं हुआ ,जबकि इसका प्रावधान था। यह कि पाईप करीब 30 से 35 मीटर लंबा, 3 से 4 मीटर गहरा खोदकर लगाया गया यह क्यों लगाया गया समझ से परे हैं। हो सकता है सिंचाई के लिए हो पर हर पाईप के बीच गैप है, और जिधर ले जा रहे थे जैसा स्थिति है ,उससे सिंचाई का उद्देश्य कहीं से भी पूरा नहीं हो सकता। यह कि इस तालाब का जो बंधान है इसमें पहले से एक मेढ़ अर्थात बंधान था। सहदेव बघेल नाम के उसी गांव के एक आदिवासी किसान का खेत है ,उसने यह उनके पूर्वजों ने वहां बड़ा सा मूण्डा यानी बांध बनाया था, जो कभी भारी बारिश में बीच का हिस्सा बह गया था। इस किसान को जमीन देने के एवज में कुछ भी पैसा नहीं मिला। *गंगा राम नाग* ने कहा कि हमारी टीम व अन्य जानकार लोगों राय मशविरा के अनुसार इस तालाब में ज्यादा से ज्यादा आंका भी जाए तो 20 लाख रुपए से ज्यादा खर्चा नहीं हुआ। जल संसाधन विभाग उदासीन बना रहा आश्चर्य है कि तलाब एकदम जल्दबाजी में एक दो महीने में बना और मनरेगा का पैसा इन्हीं दिनों में पूरे एक करोड़ निकाल भी दिया गया। जबकि पंचायतों में इस मद से कार्यों का महीनों सालों तक पैसे निकलता ही नहीं है। गंगा राम नाग ने शिकायत करते हुए इस तालाब के निर्माण में भारी अनियमितता का घपला किया गया है इसकी तत्काल जांच कर दोषियों के विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही कर जेल में डाला जाने के लिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से मांग की। इस अवसर पर अखिल भारतीय नौजवान सभा के ब्लाक अध्यक्ष – गंगा राम नाग, लच्छूराम नाग, सुकमा ब्लाक के सीपीआई प्रभारी सचिव गंगाराम बघेल सहित उपस्थित रहे।
सुकमा मुख्यालय पहुँच कर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सहसचिव गंगाराम नाग ने सौंपा ज्ञापन
