रायपुर। संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने आज एक प्रेस वार्ता कर आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार को इस बात की भी जानकारी नहीं है कि कोरोना महामारी के कारण देश भर में लगाए गए लॉकडाउन के दौरान कितने प्रवासी मजदूरों की मौत हुई थी। जबकि लॉकडाउन के बीच आये दिन मजदूरों की मौत को लेकर पूरे देश में मोदी सरकार की असंवेदनशीलता सबके सामने जगजाहिर था। विकास उपाध्याय ने दावे के साथ कहा कि 24 मार्च से 4 जुलाई के बीच 971 मजदूरों की जानें गई और उनके पास प्रतिदिन के मौत के आँकड़े मौजूद है। मोदी सरकार घोषणा करे कि मृत मजदूरों को समुचित मुआवजा दिया जाएगा तो वे 971 की पूरी सूची विस्तृत विवरण के साथ जारी कर देंगे।
विकास उपाध्याय ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा सोमवार से संसद का मॉनसून सत्र शुरू हुआ है जिसमें विपक्ष ने लिखित रूप में श्रम मंत्रालय से पाँच सवाल पूछे थे। उसी में एक सवाल था, लॉकडाउन के दौरान क्या हजारों मजदूरों की मौत हुई थी। अगर ऐसा है तो इसकी विस्तृत जानकारी दी जाए।ष् इस सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने संसद में अपने जवाब में कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई डेटा मौजूद नहीं है। ऐसा जवाब मोदी सरकार का बहुत ही गैर जिम्मेदराना और मजदूरों को कीड़ा मकौड़ा समझने वाली मानसिकता को दर्शाता है, जिस सरकार को अपने ही देश में अपनी स्वयं की गलती की वजह से बगैर पूर्व तैयारी के लगाई गई लॉकडाउन के चलते निर्मित हुई परिस्थितियों में मजदूरों की मौत हुई उसी का ही आँकड़ा नहीं है।