रायपुर वॉच

राजधानी के बड़े अस्पतालों में चल रहा है रिपोर्ट बदलने का खेल… कोरोना मरीज की रिपोर्ट पहले निगेटिव बताया फिर पॉजिटिव

Share this

रायपुर। कोरोना मरीजों की रिपोर्ट को लेकर सरकारी और निजी अस्पतालों में गंभीरता नहीं है निगेटिव को पॉजिटिव और पाजिटिव को निगेटिव करना उनका बाएं हाथ का खेल हो गया है जिसमें अस्पताल प्रबंधन दोनों हाथों से धन बटोर रहे है राजधानी के बड़े अस्पताल में चौकाने वाला मामला सामने आया है संसदीय सचिव विकास उपाध्याय पहले ही मांग कर चुके हैं कि कोरोना मामले में गफलत करने वाले अस्पतालों का लाइसेंस निरस्त किया जाए सरकार को इस मामले को संज्ञान में लेकर कार्रवाई करनी चाहिए। एक बड़े अस्पताल में पहले एक कोरोना मरीज को निगेटिव बताया गया, फिर उसे पॉजिटिव बताया गया, यह है प्राइवेट अस्पतालों का हाल समाज सेवी मोहम्मद फिरोज ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में कोरोना जाँच की प्रक्रिया की मॉनिटरिंग बेहद गैर जिम्मेदार व्यक्तियों के द्वारा की जा रही है, और वे इस अव्यवस्था के लिए सीधे तौर पर जिम्मेवार है।

क्या नुकसान हो रहा

है चूंकि जो लोग संभावित होते हैं वही जांच करवाने आ रहे हैं।जांच न होने की स्थिति में यदि वह पॉज़िटिव मरीज है तो या तो घर पर उसकी हालत बिगड़ेगी या वो घूम-घूम कर लोगों एवम् घर वालों को संक्रमित करेगा। जांच के बाद पॉज़िटिव आए मरीजों की रिपोर्ट मिलने में 24 से 48 घंटे के समय का लंबा अंतराल है।रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद इलाज की प्रक्रियाओं की एक अलग ही लंबी एवं जटिल दास्तां है।जिसे पूरा कर पाना कम पढ़े लिखे लोगों के लिए बेहद दुश्वार है।

सरकारी अस्पताल में बेहाल जांच प्रक्रिया

आप जांच के लिए एक पर्चे में सारी जानकारी, आधार, मोबाइल नंबर सहित देते हैं।

पहले सभी मरीजों से पर्चा भरा लिया गया फिर लंबे इंतज़ार के बाद नाम पुकारा गया।

मेडिकल ऑफिसर दूर से चेक करेंगे व तय करेंगे कि रैपिड टेस्ट होगा या आरटी पीसीआर।

आपको एक चिट्ठी दी जाती है जिसे एक जगह जमा कर दिया जाता है, तब तक लंच टाइम।

सैंपल कलेक्शन के लिए स्टाफ की कमी है या एक ही आदमी है, भीड़ लाइन में लग चुकी होती है

सैंपल कलेक्शन स्टाफ यदि पहुंच गया तो 10-15 लोगों का सैंपल लेकर काम बंद कर देता है।

Share this

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *