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कोरोना के चलते आज नही लगेगी देवी-देवताओं की अदालत, अगले साल भंगाराम माई देंगी दोषी-देवी देवताओं को सजा

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 ( केशकाल ) प्रकाश नाग  | छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग ने अपनी संस्कृति व वेशभूषाओं व मान्यताओं से विश्व भर में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। इसी तरह जिस प्रकार अदालत के माध्यम से दोषी इंसानो को सजा दी जाती है उसी प्रकार बस्तर में एक ऐसा स्थान है जहाँ पर वर्षों से प्रतिवर्ष देवी देवताओं की अदालत लगाकर दोषी देवी-देवताओं को सजा सुनाई जाती है लेकिन इस वर्ष देश भर में कोरोना का प्रकोप फैलने के चलते शासन प्रशासन के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए देव समिति ने भी प्रशासनिक दिशानिर्देशों का पालन करते हुए अदालत को स्थगित कर कोंडागांव कलेक्टर के अनुमति से सामान्य रूप से जात्रा आयोजन किया जाएगा ।

कोंडागांव जिले के केशकाल तेलीन सती मांई मंदिर के समीप व टाटामारी पर्यटन मार्ग में स्थित भंगाराम देवी दरबार में प्रतिवर्ष भादों माह में जात्रा का आयोजन होता है, इसी तारतम्य में इस वर्ष भी 8 अगस्त को क्षेत्र के सभी देवी देवताओं की अदालत लगेगी। प्रतिवर्ष भादों माह में यहाँ हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। लेकिन इस वर्ष देश भर में कोरोना का प्रकोप फैलने के चलते शासन प्रशासन के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए देव समिति ने भी प्रशासनिक दिशानिर्देशों का पालन करते हुए अदालत को स्थगित कर सामान्य रूप से जात्रा आयोजन करने का निर्णय लेते हुए आज जात्रा का आयोजन किया जाएगा जिसमे देव समिति के सीमित लोग ही आमंत्रित किये गए हैं। इस जात्रा में 9 परगना (1 परगना में 84 गांव) आते हैं, जहां से प्रमुख देवी शीतला माता की तेल हल्दी ही लाया जाएगा तथा देवी देवताओं का यहाँ आना इस वर्ष प्रतिबंधित किया गया है। तथा अन्य देवी देवताओं की अदालत लगने पर जो भी करवाई की जाती थी उसे अगले वर्ष तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

देवी देवताओं से वर्ष भर में किये गये कार्यों का रखते हैं लेखा-जोखा
आदिम संस्कृति में कई व्यवस्थायें ऐसी है जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते, जिन देवी देवताओं की पूरी आस्था के साथ पूजा अर्चना की जाती है उन्हीं देवी देवताओं को भक्तों की शिकायत के आधार पर सजा भी मिलती है। यहां पर देवी देवताओं से वर्ष भर में किये गये कार्यों का हिसाब किताब लेखा-जोखा होता है, वहां पर देवी देवताओं को उनके ठीक कार्य नहीं करने पर उसे सजा सुनाई जाती है।

दोषी सिद्ध होने पर अपराध अनुकूल सजा का सामना करते हैं देवी-देवता

जिस तरह से आमतौर पर शासकिय सेवक को निलंम्बन -बर्खास्तगी और गंभीर अक्षम्य अपराध पर सजाये मौत की सजा सुनाया जाता है उसी तरह यंहा देवी देवताओं को भी दोष सिद्ध होने पर अपराध अनुकूल सजा का सामना करना पडता है, साथ ही देवताओं के कार्य ठीक रहने पर उन्हे उच्च कोटी का दर्जा दिया जाता है । यह मेला शनिवार के दिन ही लगता है, क्षेत्र के विभिन्न देवी देवताओं का भंगाराम मांई के दरबार में अपनी हाजरी देना अनिवार्य होता है । जात्रा के दिन भंगाराम मांई के दरबार पर महिलाओं का आना प्रतिबंधित होता है। सभी देवी देवताओं को फुल पान सुपारी मुर्गा बकरा बकरी देकर प्रसन्न किया जाता है वहीं भंगाराम मांई के मान्यता मिले बिना किसी भी नये देव की पूजा का प्रावधान नहीं है।

हजारों की संख्या सैकड़ों में सिमट जाएगी, नही लगेगी अदालत

देव समिति के सचिव नँदलाल सिन्हा ने बताया कि इस अदालत को देखने के लिए प्रतिवर्ष भादों माह में यहाँ हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। लेकिन इस वर्ष देश भर में कोरोना का प्रकोप फैलने के चलते शासन प्रशासन के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए देव समिति ने भी प्रशासनिक दिशानिर्देशों का पालन करते हुए अदालत को स्थगित कर सामान्य रूप से जात्रा आयोजन करने का निर्णय लेते हुए आज जात्रा का आयोजन किया जाएगा जिसमे देव समिति के सीमित लोग ही आमंत्रित किये गए हैं। इस जात्रा में 9 परगना (1 परगना में 84 गांव) आते हैं, जहां से प्रमुख देवी शीतला माता की तेल हल्दी ही लाया जाएगा तथा देवी देवताओं का यहाँ आना इस वर्ष प्रतिबंधित किया गया है। तथा अन्य देवी देवताओं की अदालत लगने पर जो भी करवाई की जाती थी उसे अगले वर्ष तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

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